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लोलेपुर गोलीकांड में निष्पक्ष विवेचना के लिए एडीजी से मिले आरोपियों को आश्वासन

सुलतानपुर। सपा नेता के इशारे पर चल रही विवेचना पर सवाल खड़े हो रहे है। आरोप है कि पुुलिस वर्दी का बेजा इस्तेमाल कर बेगुनाहों को भी गम्भीर मुकदमें में फसाने की कसरत करने में जुटी है। मामले में एडीजी ने निष्पक्ष कार्यवाही किए जाने का निर्देश दिया है।

मामला शहर के विनोवापुरी मोहल्ले का है। जहां पर दलित भगेलू और सपा नेता जगन्नाथ के बीच मकान को लेकर विवाद शुरू हुआ था। भगेलू की पत्नी इंद्रवती ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री, डीएम, एसपी को शिकायती पत्र भेता था कि जगन्नाथ यादव उसके मकान पर कब्जा कर लेना चाहते है। 15 अक्टूबर को सपा नेता अपने साथियों के साथ मौके पर पहुंचे थे। जहां पर गोलीकांड और पत्थरबाजी की घटना हुई थी। गोलीकांड में सपा नेता के रिश्तेदार अनूप के पैर में गोली लगी थी। जगन्नाथ के तहरीर पर पुलिस ने पप्पू सिराज आदि के खिलाफ जानलेवा हमला समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। महीने भर बाद पप्पू अदालत में हाजिर होकर जेल चला गया था। इस दौरान पुलिस पर कई गम्भीर आरोप लगे थे। बानगी के तौर पर घटना स्थल सीताकुंड चैकी क्षेत्र में होने के बावजूद शाहंगंज चैकी प्रभारी सीताराम यादव ने विवेचना अपने हाथ में ले ली थी। घटना के पहले भी सीताराम यादव ने चैकी में पंचायत की थी। सच्चाई यह भी है कि पप्पू की शोहरत अच्छी नही है, लेकिन पुलिस ने इस मामले में इतनी तेजी दिखाई थी कि छापेमारी के दौरान तोड़फोड़ के आरोप भी लगे। मुकदमा के आरोपियों ने यह भी आरोप लगाया कि जगन्नाथ यादव के नगर कोतवाली प्रभारी और चैकी प्रभारी दोनो सजातीय है। इसी वजह से दलित की एफआईआर नही हुई और जगन्नाथ का मुकदमा दर्ज हो गया। पुलिस ने इस मामले में लम्बा खेल भी खेला। घटना में शामिल न रहने वाले कईयों के यहां दबिश दिया और मुकदमे में फसाने की धमकी भी दिया। बानगी के तौर पर कोतवाली देहात के कमनगढ़ निवासी मो. सम्स का भी नाम मुकदमें में प्रकाश में ला दिया। उसके कुछ ही दिन पहले पप्पू के साथ रहने की वजह से सम्स की रायफल भी कोतवाली प्रभारी ने जमा करवा लिया था। कोई सबूत नही मिलने की वजह से अगले दिन कोतवाल ने सम्स को छोड़ दिया था, लेकिन जानलेवा हमला मामले में कई चैकी प्रभारियों ने सम्स के यहां रात के अंधेरे में छापेमारी किया था। घर से उसकी कार भी उठा लाए थे। सम्स के यहां कार्यवाही के पीछे पुलिस खुन्नस भी बतायी जा रही है। करीब दो साल पहले चैकी प्रभारी एसपी सिंह ने बेगार में कार नही देने पर सम्स को अपमानित किया था। सम्स ने इसकी शिकायत अदालत में किया था। जिससे एसपी सिंह नाराज चल रहे थे। लोलेपुर में जब घटना हुई तो सम्स को भी आरोपी बनाने के लिए चाल चली गयी। वजह यह रही कि चैकी प्रभारी सीताराम यादव और एसपी सिंह के बीच खूब छन रही है। इन्ही सब पहलुओं को लेकर सम्स ने एडीजी कानून व्यवस्था दलजीत चैधरी से मुलाकात किया। सम्स ने सारी बाते भी बतायी। जिस पर एडीजी ने निष्पक्ष कार्यवाही का आश्वासन दिया। एडीजी ने बताया कि पीड़ित को न्याय देना प्राथमिकता है। मामले में निष्पक्ष कार्यवाही की जाएगी।

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