नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने नोटबंदी के फैसले का प्रस्ताव नोटबंदी के ऐलान से कुछ घंटों पहले ही दिया था। जिसके बाद पीएम मोदी ने टीवी पर लाइव आकर उसका ऐलान कर दिया। यह जानकारी एक RTI से मिली है। उस RTI को हिंदुस्तान टाइम्स ने लगाया था। दरअसल, यह प्रपोजल सिर्फ खानापूर्ति के लिए दिया गया था। क्योंकि, नोटबंदी की तैयारी काफी पहले से की जा रही थीं। दरअसल, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट, 1934 के हिसाब से केंद्र सराकर के पास किसी भी नोट को बंद करने की शक्ति तो है लेकिन वह निर्णय सिर्फ केंद्र सरकार अकेले नहीं ले सकती। फैसले को लागू करने के लिए उसे RBI के सेंट्रल बोर्ड की तरफ से ‘सिफारिश’ की जरूरत होती है। वही सिफारिश आठ नवंबर को नोटबंदी के ऐलान से कुछ घंटों पहले की गई।
खबर के मुताबिक, केंद्र सरकार को नोटबंदी की सिफारिश करने के लिए दस में से आठ बोर्ड मेंबर्स ने मीटिंग की थी। हालांकि, कानून के हिसाब से बोर्ड में 21 सदस्य होने चाहिए। जिसमें से 14 स्वतंत्र होते हैं। लेकिन फिर भी बोर्ड लगभग आधे लोगों ने से काम चला रहा है। नोटबंदी के ऐलान से पहले ही तैयारियां जोरों पर थीं। बैंक ने 2000 के नोट के रूप में 4.94 लाख करोड़ की करेंसी पहले ही छाप ली थी। रिजर्व बैंक के अधिकारियों के मुताबिक, वह अनुमति या सिफारिश सिर्फ औपचारिकता के लिए थी।
इस बात के बारे में वित्त सचिव शक्तिकांत दास से भी सवाल पूछा गया था। लेकिन तब उन्होंने कहा था कि इस बात का जिक्र करने का कोई फायदा नहीं कि किसने फैसला लिया। जरूरी यह है कि फैसले के क्या परिणाम होंगे।
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