कांग्रेस से तीन गुना ज़्यादा चन्दा भाजपा को मिला

नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2014-15 के मुकाबले इस वर्ष राष्ट्रीय पार्टियों के कुल चंदे में 528 करोड़ रुपये की कमी हुई है। यह सीधे तौर पर चंदे में 84 प्रतिशत की गिरावट है।

20 हजार से ऊपर के कुल 102 करोड़ डोनेशन में से 76 करोड़ बीजेपी को मिले, कांग्रेस के दाता 50 फीसदी ज्यादा, पर रकम 20 करोड़ हीचित्र का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।

साल 2015-16 में देश की छह राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों को 20 हजार रुपए से ऊपर की कुल 1744 डोनेशन की गई थी, जिसकी कुल राशि 102 करोड़ रुपए थी। इस डोनेशन का सबसे बड़ा हिस्सा भारतीय जनता पार्टी को मिला था। अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, 2015-16 में 20 हजार से ऊपर की कुल 102 करोड़ रुपए की डोनेशन में 76 करोड़ रुपए सिर्फ भाजपा को मिले थे। भाजपा को 613 डोनर्स ने 20 हजार से ऊपर का दान दिया। 2015-16 के लिए भाजपा द्वारा घोषित की गई दान राशि इसी अवधि के लिए कांग्रेस, एनसीपी, सीपीआई, सीपीएम और तृणमूल कांग्रेस द्वारा बताई गई दान राशि से तीन गुना है।

गौरतलब है कि राजनीतिक पार्टियों को अपने आयकर रिटर्न में 20 हजार रुपए से ज्यादा के चंदे का स्त्रोत बताना होता है। पार्टियों ने चंदे की डीटेल चुनाव आयोग को जमा कराई है। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्मस (ADR) द्वारा किए गए इन डोनेशन डीटेल के आंकड़ों के विश्लेषण से पता लगा कि कांग्रेस पार्टी दूसरी सबसे ज्यादा चंदा पाने वाली पार्टी रही। कांग्रेस को 120 करोड़ में से 20 करोड़ रुपए का चंदा मिला। कांग्रेस को 918 डोनेशन मिले।

कांग्रेस और बीजेपी ने अपने आयकर रिटर्न की जानकारी चुनाव आयोग को नहीं दी है इसलिए 20,000 रुपए से कम की लिमिट में कितना चंदा इन्हें प्राप्त हुआ है, यह पता नहीं लग पाया। बसपा ने घोषणा की कि उसे 2015-16 के बीच 20,000 से नीचे का चंदा नहीं मिला है। जानकर हैरानी होगी कि वित्त वर्ष 2014-15 के मुकाबले इस वर्ष राष्ट्रीय पार्टियों के कुल चंदे में 528 करोड़ रुपये की कमी हुई है। यह सीधे तौर पर चंदे में 84 प्रतिशत की गिरावट है। एनसीपी को मिले चंदे में 98 प्रतिशत की कमी हुई है, उसे इस बार सिर्फ 71 लाख का ही चंदा मिला है। जबकि बीजेपी को मिला चंदा 2014-15 की तुलना में 82 प्रतिशत कम है। बीजेपी को मिले चंदे में 2013-14 और 2014-15 में 156 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी और कांग्रेस को मिले चंदे में उसी अवधि में 137 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।