सुलतानपुर। लाख दिशा निर्देश के बाद भी बैंक कर्मियों के रवैये मंे सुधार नही हो रहा है। जहां केन्द्र की मोदी सरकार छोटे और बड़े लोगों के बीच बनी खाईं को खत्म कर रही है वहीं दुर्गापुर स्थित बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक के मैनेजर ग्रामीणों के साथ दोहरा मापदण्ड अपना रहे हैं। बैंक के बाहर खड़े ग्रामीणों को मात्र दो हजार रुपये दिया जाता है जबकि मैनेजर अपने चहेतों को मनमाफिक पैसा देते हैं। सैकड़ों बैंक उपभोक्ताओं ने बैंक मैनेजर के इस रवैये के खिलाफ ठोस कार्रवाई किए जाने की मांग उठाई है।
गौरतलब हो कि जहां ग्रामीण बैंक कैश की किल्लत से जूझ रहे हैं वहीं बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक दुर्गापुर मंे अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। लोगों का कहना है कि जब भी बैंक को कैश मिलता है शाखा प्रबंधक ग्रामीणों को बैंक से बाहर लाइन में खड़ा करवा देते हैं और मात्र दो-दो हजार रुपये देकर लोगों को कैश कम होने की बात कह टरका देते हैं पर सच्चाई इसके एकदम उलट है। बैंक मैनेजर अपने चहेतों को बैंक के अंदर घुसा लेते हैं या फिर बैंककर्मी अपने चहेतों का पहले से ही पासबुक जमा करवा लेते हैं और उन्हे दस हजार रुपये तक का भुगतान करवा देते हैं जबकि गरीबों को मात्र दो हजार रुपये पर ही संतोष करना पड़ता है।
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