नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक द्वारा विजय माल्या प्रवर्तित किंगफिशर एयरलाइंस सहित करीब 7,000 करोड़ रुपये के ऋण को बट्टे खाते में डालने के विवाद के बीच सरकार और बैंक दोनों ने इस मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा कि यह ऋण माफ करना नहीं है और कर्ज लेने वालों पर देनदारी कायम है.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि सदस्य सिर्फ 'बट्टे खाते' के अर्थ पर न जाएं. उन्होंने कहा कि बट्टे खाते में डाला जाना ऋण माफी नहीं है. कर्ज अभी कायम है. इसे अभी भी वसूला जाएगा.

जेटली सीपीएम नेता सीताराम येचुरी के सवाल का जवाब दे रहे थे. येचुरी ने अखबार में छपी एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि एसबीआई ने जानबूझ कर चूक करने वालों का कर्ज बट्टे खाते में डाला है. इसमें किंगफिशर एयरलाइंस का 1,200 करोड़ रुपये का कर्ज भी शामिल है. आनंद शर्मा ने भी अपने संबोधन में यह मुद्दा उठाया.

जेटली ने कहा, 'इसका मतलब कर्ज को समाप्त करना नहीं है. हम कर्ज वसूलेंगे. खातों में इसकी प्रविष्टि को सिर्फ गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में डाला गया है.' एसबीआई की चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य ने भी 63 जानबूझ कर कर्ज न चुकाने वालों के ऋण को बट्टे खाते में डालने की खबरों को खारिज करते हुए कहा कि इन्हें विभिन्न मदों में डाला गया है और ऐसे डिफॉल्टरों से कर्ज वसूली के प्रयास जारी हैं.

उन्होंने कहा कि ऋण लेने वालों को कोई रियायत नहीं दी जा रही है. पूरा कर्ज वसूलने के लिए प्रक्रिया जारी है. बट्टे खाते में डालना एक तकनीकी शब्द है. आम आदमी की भाषा में इस शब्द को लेकर समझ भ्रम पैदा करती है.