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इंसाफ के सवाल को उठाने वाले सरकारों के निशाने पर हैं

सोची-समझी साजिश के तहत पुलिस ने किया था कातिलाना हमला: रिहाई मंच

लखनऊ: भोपाल फर्जी मुठभेड़ के खिलाफ 2 नवंबर को गांधी प्रतिमा, हजरतगंज लखनऊ पर दिए जा रहे धरने पर पुलिसिया हमले के खिलाफ लाटूश रोड स्थित रिहाई मंच कार्यालय पर प्रेस वार्ता की गई।

प्रेस वार्ता के दौरान रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव व रिहाई मंच लखनऊ यूनिट के महासचिव शकील कुरैशी ने बताया कि रिहाई मंच ने 2 नवंबर को शाम 3 बजे भोपाल फर्जी मुठभेड़ के खिलाफ लखनऊ के गांधी प्रतिमा, हजरतगंज पर धरना देने की घोषणा की थी। तीन बजे के करीब जब धरने में शामिल होने वाले लोग अभी पहुंच ही रहे थे और मंच के कार्यकर्ता बैनर बांधे ही थे कि अपने को स्थानीय पुलिस चैकी का प्रभारी बताने वाले ओंकारनाथ यादव आए और उन्होंने कहा कि यहां तुम लोग धरना नहीं दे सकते। जिसके बाद मंच के नेताओं ने कहा कि गांधी प्रतिमा पर लगातार वो धरना देते आए हैं और आज भी इस वक्त यहां अन्य लोगों के धरने चल रहे हंै तो ऐसे में वह क्यों नहीं धरना दे सकते। इस पर मंच के नेताओं समेत विभिन्न संगठनों के लोगों ने कहा कि महात्मा गांधी सत्याग्रह के देश में ही नहीं दुनिया में प्रणेता रहे हैं ऐसे में हम यहां धरना क्यों नहीं दे सकते। उन्होंने कहा कि यह धरना स्थल नहीं है और यह कहते ही वहां पर ओंकारनाथ यादव ने पहले से कुछ दूर खड़ी पुलिस फोर्स को इशारा किया और वे लोग धरने पर बैठे लोगों पर टूट पड़े। बैनर फाड़ दिया और हैंड माइक और बैटरी उठा लिया। इसके बाद ओंकारनाथ यादव व उनके सहकर्मी विजय पाण्डेय और अन्य पुलिस वालों ने रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव को बलपूर्वक खींचकर सीढ़ियों से नीचे फेंक दिया और वहां तैनात पुलिस वालों ने लाठी, डंडो, घूसों से मारना शुरू करते हुए कहा कि ले चलो यह पाकिस्तानी एजेंट सिमी का आतंकवादी है। अभी यह चल ही रहा था तभी रिहाई मंच के लखनऊ यूनिट के महासचिव शकील कुरैशी व प्रवक्ता अनिल यादव समेत कई लोग बीच-बचाव में आए। इस पर तेजी से पुलिस वालों ने शकील कुरैशी जो कि मोबाइल से वीडियो बनाने की कोशिश कर रहे थे उनके मोबाइल को फेंकते हुए गर्दन पकड़कर मारने लगे। जीपीओ पार्क से राजीव और शकील को हजरतगंज रोड पर दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। (इस घटना के वीडियो फुटेज मौजूद हैं)।

गांधी प्रतिमा पर रिहाई मंच के नेताओं को पीटने वाले इन सभी पुलिस कर्मियों ने बाइक चलाने वाले हेलमेट पहने थे और शीशे नीचे किए थे जिससेे इनको कोई पहचान न सके। इसके बाद पीटते हुए राजीव यादव और शकील कुरैशी को हजरतगंज चैराहे पर स्थित सचिवालय पुलिस चैकी में ले गए। जहां पर ले जाते ही ओंकारनाथ यादव ने पुलिस वालों को कहा कि इनको इतना पीटो की आतंकवाद का भूत इनके सिर से उतर जाए, यह सब पाकिस्तानी एजेंट सिमी के आतंकवादी हैं। पुलिस वाले मां-बहन की गालियां देते हुए तकरीबन 15 मिनट तक पीटते रहे। इस बीच मौका पाकर राजीव और शकील दोनों पुलिस चैकी से बाहर निकले पर फिर पीटते हुए ले आए और कहा कि ये कटुवे ऐसे नहीं मानेंगे इनको ले चलो और एनकाउंटर कर दो और तभी राजीव के सिर पर डंडे से प्रहार किया जिससे वो अचेत हो गए। इसके बाद शकील कुरैशी ने कहा कि इनकी हालत खराब हो रही है इन्हें पानी दो, पर पुलिस वालों ने कहा कि मर जाने दो पानी मत दो एक आतंकी कम हो जाएगा। इसके बाद आधे घंटे बाद जब कुछ होश आया तो दोनों ने कहा कि उन्हें जाने दिया जाए। इस बीच जो पुलिस वाले पीट रहे थे उन सभी ने अपने नेम प्लेट हटा दिए। इसके बाद ओंकारनाथ यादव से पूछने पर कि वो अब क्या करेंगे तो उन्होंने कहा कि अभी कोतवाल और मजिस्ट्रेट आ रहे हैं पर बहुत वक्त गुजरने के बाद भी नहीं आए और वो पाकिस्तानी, सिमी के आतंकी देशद्रोही कहकर भद्दी-भद्दी गालियां देते रहे।

इसके बाद एक पुलिस की गाड़ी आई और दोनों को उसमें लाद दिया। जिसमें बैठे एक पुलिस के सिपाही ने कहा कि ये सब तुम लोग क्यों कर रहे थे तो उन लोगों ने जब बोला कि भोपाल फर्जी मुठभेड़ के खिलाफ सवाल उठा रहे थे तो कहा कि इस मुल्क में क्या कर रहे हो जाओ दूसरे मुल्क में। गाड़ी में बैठाकर घुमाते हुए फिर हजरतगंज कोतवाली दोनों को ले गए। जहां पहुंचते ही वहां पहले से मौजूद सिपाहियों ने कहा कि सिमी के आतंकी आ गए।

यहां पहुंचने के बाद राजीव की तबीयत खराब होती गई और वह फिर से अचेत हो गए जिस पर शकील कुरैशी ने कहा कि जल्द अस्पताल ले चला जाए। फिर बैठने के लिए कुर्सी मांगने पर कहा कि जमीन पर बैठ जाओ जिसका विरोध करने पर वहां सादी वर्दी में मौजूद क्राइम ब्रांच के सिपाही धमकाने लगे और कहा कि पीछे ले चलो उधर ही इनको सिखाते हैं।
इसके बाद वहां कुछ मीडिया कर्मी भी पहुंच गए जिन्होंने रिहाई मंच के नेताओं को सूचना दी कि उनके नेताओं को हजरतगंज कोतवाली में रखा गया है जहां पहंचने पर वहां मौजूद क्राइम ब्रांच के संतोष समेत कई पुलिस वाले धमकाने लगे और वीडियो बनाने लगे जिस पर मंच के नेताओं ने कहा कि इनकी तबीयत खराब हो रही है इसको अस्पताल ले चलो। जिसपर वे नहीं माने।

जब कोतवाली पर भीड़ बढ़ने लगी तब जाकर पुलिस की गाड़ी में लादकर राजीव और शकील को ले जाने लगे जिसपर जब लोगों ने कहा कि कहां ले जा रहे हैं तो उन लोगों ने कहा कि कहीं भी ले जाएं आपसे क्या मतलब। वहां मौजूद लोगों ने इस घटना के खिलाफ एफआईआर करने की मांग की तो इससे पुलिस ने इनकार कर उल्टा वहां मौजूद लोगों पर एफआईआर करने की धमकी दी।

बाद में जाकर रिहाई मंच प्रवक्ता अनिल यादव की तहरीर पर ओंकारनाथ यादव और विजय पाण्डे पर मुकदमा दर्ज हुआ। इसपर विरोध करने पर और खुद वहां मौजूद लोगों द्वारा सरकारी एंबुलेंस मंगवाने पर ले जाने दिया। इसके बाद वहां से केजेएमयू के ट्रामा सेंटर ले जाया गया जहां उनकी चिकित्सा हुई। जिसमें शकील कुरैशी के दाहिने हाथ में फ्रैक्चर और शरीर पर गंभीर चोटें और राजीव यादव के सिर व दाहिने हाथ, पैर, पेट समेत शरीर के अन्य हिस्सों में गंभीर चोटें आईं।
रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि आतंकवाद के नाम पर बेकसूरों के सवालों को उठाने के कारण रिहाई मंच के नेता तथा इंसाफ के सवालों को उठाने वाले सरकारों के निशाने पर बने रहते हैं। जिस तरह से गैर कानूनी तरीके से गांधी प्रतिमा से उठाकर सचिवालय पुलिस केबिन में जान से मारने की नियत से मारा-पीटा, सर पर चोटें पहुंचाई, एनकाउंटर की धमकी दी और हजरतगंज कोतवाली में भी ले जाकर सिमी आतंकी कहकर क्राइम ब्रांच वालों ने धमकाया यह सब वजहें साबित करती हैं कि यह एक सोची-समझी साजिश के तहत पुलिस का कातिलाना हमला था। जिसमें शकील कुरैशी के हाथों में फ्रैक्चर आया और राजीव यादव के सिर पर चोट से वह अचेत हो गए। ऐसे में आपराधिक पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमें में जो धाराएं लगाई गई हैं वह बेहद कमजोर है उन्हें अपराध के मुताबिक बढ़ाया जाए। ओंकारनाथ यादव, विजय कुमार पाण्डेय समेत उस दौरान के पूरे पुलिसिया अमले को तत्काल निलंबित करते हुए विभागीय जांच निर्गत की जाए। यह हमला अभिव्यक्ति की आजादी व जन आंदोलनों पर हमला है ऐसे में इस बर्बर कृत्य के खिलाफ अगर कार्रवाई नहीं होती तो इसके खिलाफ आंदोलन चलाया जाएगा।

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