मुंबई: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नए गवर्नर उर्जित पटेल ने अपनी पहली मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान मंगलवार को ब्याज दरों में 25 आधार अंक की कटौती की, जिससे रेपो रेट पिछले छह साल के न्यूनतम स्तर 6.25 प्रतिशत पर पहुंच गया है. अब बैंकों द्वारा इस कटौती का फायदा ग्राहकों तक पहुंचने की भी संभावना जताई जा रही है.

आज का यह फैसला आरबीआई में नए युग की शुरुआत है, क्योंकि यह पहला मौका है, जब नीतिगत फैसला एक कमेटी ने किया है. इससे पहले ये फैसले सिर्फ आरबीआई गवर्नर लिया करते थे.

यह नए गवर्नर उर्जित पटेल की भी पहली नीति समीक्षा थी, जिन्होंने पिछले महीने ही रघुराम राजन के स्थान पर पदभार संभाला है. कमेटी में पटेल के अलावा रिजर्व बैंक के दो अन्य अधिकारी तथा सरकार द्वारा नामित तीन विद्वान शामिल थे. सभी छह सदस्यों ने रेट कटौती का पक्ष लिया था.

गौरतलब है कि खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में पांच महीने के निम्न स्तर 5.05 प्रतिशत पर आ गयी, लेकिन थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर दो साल के उच्च स्तर 3.74 प्रतिशत रही. अगस्त में गिरावट से पहले दोनों खुदरा एवं थोक कीमत सूचकांक आधारित महंगाई दरों में लगातार वृद्धि हो रही थी.

सरकार ने अगस्त में रिजर्व बैंक के साथ मौद्रिक नीति मसौदा समझौते के तहत अगले पांच साल के लिये दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत महंगाई दर का लक्ष्य रखा.