नई दिल्ली। यूपी में आसन्न विधानसभा चुनाव में वोटों के मामले में भाजपा की रणनीति अब बिल्कुल साफ हो चुकी है। पार्टी दलितों का मुद्दा पीछे छोड़ अपना नया दांव पिछड़ों पर खेलने जा रही है। अक्टूबर से पार्टी पिछड़ा वर्ग सम्मेलन आयोजित करने जा रही है। दो विधानसभाओं पर एक सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। सम्मेलनों की रूपरेखा भी तैयार हो चुकी है। लखनऊ में पार्टी अध्यक्ष ने इस रणनीति की नींव रखी थी।
यूपी में चुनाव की रणनीति बना रही भाजपा सूबे के पिछड़ों पर एक बड़ा दांव खेलने जा रही है। 15 अक्टूबर से पार्टी प्रदेशभर में पिछड़ा वर्ग सम्मेलन आयोजित करने जा रही है। यह सम्मेलन पूरे प्रदेश में हर दो विधानसभा पर होंगे। इस लिहाज से करीब प्रदेश में 200 से अधिक सममेलन आयोजित किए जाएंगे। सम्मेलन का प्रभारी प्रदेश महामंत्री अशोक कटारिया को बनाया गया है। हर सम्मेलन में करीब पांच हजार की भीड़ जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। सम्मेलन 30 नवम्बर तक आयोजित किए जाएंगे। सूत्रों की मानें तो सम्मेलन के दौरान भाजपा अपनी पूरी पिछड़ा वर्ग की फौज को उतार सकती है।
वहीं चर्चा यह भी है कि पिछड़ों को लुभाने के लिए सम्मेलन के दौरान पार्टी अपने प्रदेश स्तर और केन्द्रीय स्तर के नेताओं को भी उतारेगी। प्रदेश और केन्द्रीय स्तर पर ऐसे नेताओं की सूची तैयार करने का काम चल रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि अक्तूबर की शुरूआत में यह सूची घोषित हो सकती है। जानकारों का कहना है कि सम्मेलन में पिछड़ों के बीच पार्टी अपने वो काम रखेगी जो उसने पिछड़ों के हितों को ध्यान में रखते हुए किए हैं। वहीं जानकारों की मानें तो पार्टी अब दलित वाले एजेंडे से पीछे हट चुकी है।
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