नई दिल्ली: भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद पर शुक्रवार को दिल्ली में अंतिम मुहर लग गई। 7.878 अरब यूरो के इस सौदे पर फ्रांस के रक्षा मंत्री ज्यां जीन यीव्स ली ड्रियान और मनोहर पर्रिकर ने हस्ताक्षर किए।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि पिछले 20 वर्षो में यह लड़ाकू विमानों की खरीद का पहला सौदा है। इसमें अत्याधुनिक मिसाइल लगे हुए हैं, जिससे भारतीय वायुसेना को मजबूती मिलेगी।
सौदे पर हस्ताक्षर के समय देसाल्ट एविएशन, थेल्स और एमबीडीए के सीईओ के साथ शीर्ष सरकारी अधिकारी भी मौजूद रहे।
रक्षा सूत्रों ने बताया कि इस लड़ाकू विमान की खरीद पर संप्रग सरकार के काल की कीमत की तुलना में करीब 75 करोड़ यूरो बचाये जा सकेंगे, जिसे नरेन्द्र मोदी सरकार ने रद्द कर दिया था। इसके अलावा इसमें 50 प्रतिशत आफ सेट का प्रावधान भी रखा गया है।
इसका अर्थ यह हुआ कि छोटी बड़ी भारतीय कंपनियों के लिए कम से कम तीन अरब यूरो का कारोबार और आफ सेट के जरिये सैकड़ों रोजगार सृजित किये जा सकेंगे। राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति 36 महीने में शुरू हो जायेगी और यह अनुबंध किये जाने की तिथि से 66 महीने में पूरी हो जायेगी।
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