मुंबई.: चकाचौंध, रनों और पैसों की बरसात के खेल इंडियन प्रीमियर लीग को सोनी पिक्चर्स नेटवर्क इंडिया ने 10 वर्षों तक दिखाया लेकिन अब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को नए करार का इंतज़ार है. सोनी के पास बोर्ड को पेशकश देने का पहला अधिकार था, लेकिन बीसीसीआई ने खुली निविदा भेजने का फैसला किया.
वर्ष 2008 में वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप ने आईपीएल के अधिकार तकरीबन 6500 करोड़ रु. में हासिल किए थे, जिसने अधिकारिक प्रसारण के लिये सोनी से हाथ मिलाया. अब बोर्ड को उम्मीद है नए करार से दस सालों के लिये वो इससे तिगुनी तकरीबन 18,000 करोड़ रुपये की रकम हासिल कर सकती है.
दुनिया इस निविदा को लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के अनुरूप देख रही है, लेकिन बोर्ड का कहना है उसने सुधारों की बयार पहले से ही बहा रखी है, रविवार को दिल्ली में बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने कहा, " हमारे काम कहां कोर्ट को चुनौती दे रहे हैं, मुझे नहीं लगता ऐसा हो रहा है. हमने कई सुधार लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों से पहले शुरू कर दिए थे. बोर्ड को करार से तिगुनी रकम मिलने की उम्मीद है, लेकिन यही पैसा कानूनी फांस भी बन सकता है. सोनी को पहले इनकार का अधिकार था, लेकिन निविदा मंगाकर बोर्ड ने इसे दरकिनार कर दिया. सूत्रों के मुताबिक डिजिटल अधिकार भी डब्लूएसजी के पास हैं ऐसे में बीसीसीआई, लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को मानने के बावजूद नए कानूनी पचड़े में फंस सकता है.
बीसीसीआई इस बार भारतीय उपमहाद्वीप के लिये 10 सालों के अधिकार बेच रहा है, लेकिन डिजिटल और बाकी देशों के लिये अधिकार की अवधि 5 साल होगी. बोर्ड सालाना आम बैठक से पहले लोढ़ा कमेटी के सामने फ्रंट फुट पर खेलता दिख रहा है, लेकिन प्रसारण पर ये पैंतरा कानूनी मैदान में उसे वापस बैकफुट पर धकेल सकता है.
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