आसिफ मिर्ज़ा

लखनऊ। एसडीएम सदर को देर रात हार्ट अटैक के बाद ट्रॉमा सेण्टर लाया गया तो जूनियर डॉक्टरो की कारस्तानी उजागर हो गई। करीब दो घंटे तक एसडीएम मौत से संघर्ष करते रहे लेकिन किसी डॉक्टर ने उनका इलाज नही शुरू किया। यह देख एडीएम और एसपी सिटी का पारा सातवें आसमान पहुँच गया। जूनियर डॉक्टर से सवाल जवाब के बाद गुस्साए एडीएम ने प्रभारी को पकड़कर ट्रामा लाने के लिए पुलिस फ़ोर्स भेज दी। मामला बढ़ने के पहले डॉक्टरों ने एसडीएम का इलाज शुरू किया।

मामला शनिवार की देर रात ट्रामा सेण्टर का है। एसडीएम सदर लखनऊ की तबियत अचानक गंभीर हो गई। जिस पर एडीएम एसपी सिटी व चौक कोतवाली प्रभारी आई पी सिंह उन्हे लेकर ट्रामा पहुंचे। जहा पर एस्ट्रेचर नही मिलने की वजह से एसडीएम को काफी देर तक मुख्य द्वार तक रुकना पड़ा। बहरहाल आधे घंटे के बाद मरीज को इंट्री मिली। एसडीएम को आपातकालीन कक्ष में करीब डेढ़ घंटे तक इलाज नही शुरू हुआ तो एडीएम बिफर पड़े। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर अनिल से नोक झोक शुरू हो गई। एडीएम ने प्रभारी को ट्रामा बुलाने की जिद पकड़ ली। कई बार फोन मिलाने के बाद रिसिव नही हुआ तो उनके आवास पर उन्होंने फ़ोर्स भेजी और निर्देश दिया की किसी भी तरह डॉक्टर को पकड़ कर लाया जाय। काफी मशक्कत के बाद फ़ोर्स ख़ाली हाथ लौटी। मौके की नजाकत भांप एसडीएम का इलाज शुरू कर दिया। तब कही जाकर मौजूद अधिकारियो का गुस्सा शांत हुआ। हलाकि नाराज एसडीएम ने मौजूद डॉक्टरो के खिलाफ मजिस्ट्रेटी जाँच शुरू करने की बात कहने के साथ भविष्य में मेडिकल कॉलेज के विपरीत परिस्थितियों में सहयोग न करने की बात कही। अधिकारियो का कहना था कि जब मजिस्ट्रेट के इलाज में इतनी लापरवाही की जा रही है तो आम लोगों का क्या हाल होता होगा। लापरवाह डॉक्टरो के विरुद्ध कारवाही कराई जायेगी।

मजेदार बात यह रही की नाराज एडीएम ने जब कोतवाल आई पी सिंह को जब बटलर पैलेस से डॉक्टर को किसी तरह पकड़ कर लाने का निर्देश दिया तो उन्होंने फोन कर फ़ोर्स भेज दी लेकिन किनारे जाकर वह डॉक्टरो की चापलूसी में जुट गए। फोन पर डॉक्टर को न पकड़ने की नसीहत दे डाली। करीब 10 बार एडीएम ने जानकारी चाही लेकिन हर बार कोतवाल अपने अधिकारीयों को गुमराह करते रहे।