1 :- जलोदर रोग जिसमें पेट के अंदर पानी भर जाता है और पेट बहुत ज्यादा फूल जाता है, इस रोग में 60 ग्राम चने लेकर उनकों आधा लीटर पानी में उबाल लेना चाहिये जब चौथाई किलो पानी शेष रहे तो उतार लेना चाहिये और 5 ग्राम सेंधा नमक और 1-1 ग्राम जौ का क्षार और छोटी पीपल का चूर्ण मिलाकर एक महीने तक रोज एक या दो बार पीने से लाभ होता है । हर बार ताजा बना कर ही सेवन करना चाहिये ।

2 :- पैर में अथवा कमर में मोच आ गयी हो तो चने के छिलकों को गुड़ की चाशनी में मिलाकर बाँधने से बहुत ही अच्छा लाभ प्राप्त होता है ।

3 :- शरीर का वर्ण गोरा और तेजस्वी बनाना हो तो चने के आटे में हल्का गर्म पानी और थोड़ा सा देशी घी मिलाकर मालिश करने से सफलता मिलती है । मुँह पर भी यदि चने के आटे की मालिश की जाये तो चेहरे पर चमक आ जाती है ।

4 :- पीलिया का रोग ना जाता हो तो मुट्ठी भर चने की दाल को 2 गिलास पानी में भिगोकर रख दें जब दाल फूल जाये तो समान मात्रा में गुड़ मिलाकर तीन दिन तक सेवन करें । यह एक फकीरी नुस्खा है बहुत उत्तम लाभ देता है ।

5 :- बवासीर के रोग में ताजे भुने हुये गुनगुने चनों का सेवन विशेष रूप से लाभकारी पाया जाता है ।

6 :- पुरुषों में वीर्य के पतलेपन की शिकायत होने पर मुट्ठी भर भुने चनों के साथ 5 गिरी बादाम की खाकर एक गिलास मिश्री से मीठा किया गया गाय का दूध रोज एक बार पीने से बहुत ही जल्दी लाभ होता है ।

7 :- शरीर में जगह जगह हो जाने वाली चर्बी की गाँठ में चने का यह विशेष प्रयोग बहुत लाभ करता है । चने के आटे में थोड़ा सा गूगल और पिसी हल्दी मिलाकर गर्म करके पट्टी बाँधने से ग़ाँठ बैठ जाती है ।

8 :- चने की दाल एक मुट्ठी को पानी में भिगोकर रात भर रख लीजिये और अगले दिन सुबह इसमें शहद मिलाकर सेवन करने मूत्र मार्ग की पथरी तथा गुर्दे और मूत्र मार्ग के रोग ठीक हो जाते हैं ।