भारतीय स्पष्ट रूप से व्यस्त जीवन शैली और कई जिम्मेदारियों के प्रभाव को महसूस कर रहे हैं. आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के वेलनेस रिसर्च में 44ण्5 फीसदी उत्तरदाताओं ने माना है कि वे तनाव में है. इस के बावजूद, देश की केवल 40 फीसदी आबादी ऐसी गतिविधि में शामिल है जो उन्हें शारीरिक रूप से फिट रखती है. दिलचस्प रूप से, जब उनसे पूछा गया कि क्या वे खुद को स्वस्थ मानते है तो 90 फीसदी ने कहा कि हाँ वे ऐसा मानते है. ये निष्कर्ष आईसीआईसीआई लोम्बार्ड द्वारा 1 से 7 सितंबर 2016 के बीच मनाए जा रहे विश्व पोषण सप्ताह के लिए किए गए रिसर्च से सामने आए है. आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस ने इस सर्वे को दस शहरों में 1500 से अधिक उत्तरदाताओं के बीच किया और यह समझने की कोशिश की कि भारतीयों के बीच वेलनेस को ले कर क्या जागरूकता है और वे इसके लिए क्या करते है.
इस स्टडी पर टिप्पणी करते हुए संजीव मंत्री, कार्यकारी निदेशक, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने कहा कि हालांकि दावों का निपटान ही एक बीमा कंपनी से की जाने वाली प्राथमिक उम्मीद है. लेकिन, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड अपने ग्राहकों को फिट रहने में मदद करने के लिए अधिक सक्रिय भूमिका निभाने में विश्वास करता है. यह वेलनेस रिसर्च ग्राहकों की स्वास्थ्य रुझान को समझने का हिस्सा है. इससे हमें आगे ग्राहकोँ के स्वास्थ्य के लिए वेलनेस आफरिंग बढ़ाने में मदद मिलेगी.
सर्वेक्षण निष्कर्ष बताता है कि वेलनेस प्रोग्राम शुरू करने के लिए औसत आयु 24 साल थी. महिलाओं की तुलना में पुरुष फितनेस के प्रति (रनिंग, एक्सरसाइज) ज्यादा झुकाव रखते है जबकि महिलाएँ संतुलित आहार और योगा पर ध्यान केंद्रित करती है.
मेट्रो बनाम नन मेट्रो के बीच एक स्पष्ट अंतर था. उदाहरण के लिए, महानगरों के 75 फीसदी उत्तरदाताओं ने वेलनेस को हेल्दी रहने के साथ जोडा जबकि नन मेट्रोज शहर के 68 फीसदी उत्तरदाताओं ने वेलनेस को लंबी उम्र के साथ जोड कर देखा. जो लोग वेलनेस गतिविधियों में शामिल है उनमें से 69 फीसदी ने माना कि यह बीमारी को रोकता है जबकि ऐसी गतिविधि में शामिल नही लोगों में से 52 फीसदी ने भी ऐसा ही माना. इसके अलावा, वेलनेस के साथ संतुलित आहार की बात नन मेट्रोज शहर के लोगोँ में अधिक थी जबकि मेट्रो में लोगों के बीच नियमित रूप से व्यायाम सबसे महत्वपूर्ण माना गया.