मुम्बई: हाजी अली दरगाह में महिलाओं के जाने की पाबंदी को गैरकानूनी करार देने के मुम्बई हाई कोर्ट के फैसले पर दरगाह प्रबंधन और कई मुस्लिम धर्मगुरुओं ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है। ऑल इंडिया इमाम असोसिएशन (कुल हिन्द इमाम) के प्रेजिडेंट मौलाना साजिद रशीदी ने तो कोर्ट को शरिया कानून पढ़ने तक की सलाह दे डाली है। दरगाह ट्रस्ट इस मामले को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट जाने वाला है।
कोर्ट ने ये पाबंदी हटाते हुए दरगाह जाने वाली महिलाओं की सुरक्षा राज्य सरकार को सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने संविधान का हवाला देते हुए अपने आदेश में कहा कि दरगाह में जहां तक पुरुषों को जाने का अधिकार है वहां तक महिलाएं भी जाएंगी। उधर मौलाना रशीदी ने कहा, ये बहुत ही गलत फैसला है ऐसा लगता है कि कोर्ट ने शरिया कानून पढ़े बिना फैसला ले लिया है। उन्होंने आगे कहा कि शरिया कानून के मुताबिक औरतों के लिए कुछ हदें तय की गई हैं, लोगों को इसमें दखल देने से पहले इसे जान लेना चाहिए। रशीदी ने आगे कहा कि इस मुद्दे को राजनीतिक खेल बना दिया गया है।
बता दें कि जस्टिस वीएम कनाडे और जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे की खंडपीठ मामले की सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ता जाकिया सोमन, नूरजहां सफिया नियाज की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव मोरे ने हाई कोर्ट में पैरवी की। नियाज ने अगस्त 2014 में अदालत में याचिका दायर कर यह मामला उठाया था।
गौरतलब है कि दरगाह ट्रस्ट हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाना तय है। ट्रस्ट ने ऊपरी अदालत में अपील के लिए 8 हफ्ते का समय मांगा था। जिस पर हाई कोर्ट 6 हफ्ते का समय दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने छह हफ्ते के लिए अपने आदेश पर भी रोक लगा दी है। यानी फिलहाल छह हफ्ते तक महिलाओं को दरगाह के गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।
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