समारोह में फहराने से पहले ही नीचे गिर गया तिरंगा

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती जब स्वतंत्रता दिवस के मौके पर तिरंगा लहराने लगीं तो तिरंगा जमीन पर गिर गया. महबूबा मुफ़्ती इसके बाद सकपका गईं, क्योंकि आज पहली बार वह बक्शी स्टेडियम में बतौर मुख्यमंत्री तिरंगा फहरा रही थीं. उनकी सुरक्षा घेरे के सुरक्षाकर्मियों ने अफरातफरी में तिरंगा उठाया. जब तक उन्होंने सैल्यूट लिया तब तक सुरक्षाकर्मियों ने झंडा अपने हाथों में रखा. जब महबूबा पैरामिलेट्री और पुलिस दल का मुआयना करने गई तब जल्दी-जल्दी झंडे को फहराया गया.
जम्मू-कश्मीर के डीजीपी के राजेंद्र ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि उन्होंने इस गड़बड़ी की जांच के आदेश दे दिए हैं. जल्द से जल्द पता लगाया जाएगा कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इस वाकये के चलते पूरे बक्शी स्टेडीयम में सुरक्षाकर्मी काफी शर्मिंदा हो गए, क्योंकि बक्शी स्टेडियम में हर साल बंदोबस्त के लिए आर्म्ड पुलिस जो कि जम्मू कश्मीर पुलिस का हिस्सा है, वह जिम्मेदार होती है.
एक सुरक्षाकर्मी ने बताया कि जब ड्रेस रिहर्सल हुई तब सब ठीक था, लगता है या तो गलत रस्सी खींची गई या फिर मुख्य मंत्री ने ज़्यादा ज़ोर लगा दिया. एक सुरक्षा कर्मी ने बताया कि वैसे तिरंगे को लेकर घाटी में सभी बहुत संवेदना बरतते है लेकिन फिर भी इस तरह का हादसा हुआ वो भी मुख्य मंत्री जब झंडा लहरा रही थी.

इस मौके पर कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर मुफ्ती को निशाना बनाते हुए लिखा 'श्रीनगर में तिरंगा फहराने के दौरान हुई गड़बड़ी के लिए अब मुफ्ती को किसी को जिम्मेदार ठहराना होगा क्योंकि उनकी गलती तो कभी होती ही नहीं है.'

अपने भाषण में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने घाटी में शांति की अपील की, साथ ही फिर से दोहराया कि कश्मीर के लोगों की मदद गोली से नहीं बोली से हो सकती है. मौजूदा हालातों के लिए राजनेताओं को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने उम्मीद जताई कि मोदी सरकार भी घाटी के विषय में अटल बिहारी वाजपेयी की विचारधारा का अनुसरण करेंगे.

हालांकि विपक्ष ने श्रीनगर में हुई स्वतंत्रता समारोह का बहिष्कार किया. कांग्रेस या राष्ट्रीय कांफ्रेंस से कोई भी नेता ने कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया.