नई दिल्ली। यूपी के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को दो महीने के भीतर सरकारी बंगले खाली करने होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में उस अधिनियम को गैरकानूनी करार दिया जिसके तहत उन्हें मामूली किराये पर आजीवन सरकारी बंगले दिए गए हैं। हालांकि ये आदेश यूपी के लिए है लेकिन अब बाकी राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्रियों पर भी बंगले खाली करने का दबाव बढ़ गया है।
मुलायम सिंह यादव, मायावती, राजनाथ सिंह, एन डी तिवारी, कल्याण सिंह और राम नरेश यादव। ये वो छह दिग्गज हैं जिन्होंने बतौर मुख्यमंत्री यूपी पर राज किया। इन सबको राज्य सरकार की ओर से एक अधिनियम के तहत नाम मात्र के किराये पर बंगले अलॉट हैं। ये बंगले उन्हें बतौर पूर्व मुख्यमंत्री मिले हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आदेश दिया कि यूपी के सभी पूर्व मुख्यमंत्री अपना सरकारी आवास दो महीने के भीतर खाली कर दें।
दरअसल 1997 में यूपी सरकार ने एक नियम बनाया जिसके तहत सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास आवंटित करने का प्रावधान लाया गया। सरकार का तर्क है कि पूर्व मुख्यमंत्री जनता की सेवा करते हैं इसलिए उन्हें ये सुविधा दी जाती है। सुरक्षा के लिहाज से भी सरकारी आवास देना जरूरी है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में एक गैर-सरकारी संगठन ने कहा कि संविधान में इसका कोई प्रावधान नहीं है। यहां तक कि यूपी के अपने कानून के तहत भी पूर्व मुख्यमंत्रियों को घर देने का कोई प्रावधान नहीं है। फिलहाल केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।
शहरी विकास और आवास मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला है, मैं भी उसी मत का हूं। कोई भी पूर्व है, पद पर नहीं है तो उसे एक समय सीमा के बाद खाली करना चाहिए। अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग व्यवस्था है। सुप्रीम कोर्ट के नियम का सबको पालन करना चाहिए।
हालांकि कुछ राजनीतिक दलों को कोर्ट के फैसले पर आपत्ति भी है और वो इस फैसले को चुनौती देने का भी मन बना रहे हैं। सपा के राज्यसभा सांसद अमर सिंह ने कहा कि मुलायम सिंह को आप केवल पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं ले सकते। वो देश के वरिष्ठतम नेताओं में से एक हैं। मायावती जी के केस में ये सही है क्योंकि कांशीराम जी के नाम पर बंगला है।
यूं तो सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला फिलहाल सिर्फ यूपी के लिए है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूरे देश के लिए नजीर बनता है। यूपी के अलावा बिहार, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर पूर्व के कुछ राज्यों में ऐसी सुविधा पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी जाती है। अब उन पर भी गाज गिरने का खतरा मंडराने लगा है।