लखनऊ: मौलाना कल्बे जावद नक़वी की अध्यक्षता में उनके आवास पर आज ओलेमा की एक मीटिंग हुई| मीटिंग में 20 अप्रैल को होने वाले शिया वक़्फ़ के चुनाव को लेकर बात चीत हुई| मीटिंग में ये तय किया गया के इस बार का चुनाव सिर्फ चुनाव नहीं है बल्कि ये एक शरीअत का मसला भी बन गया है,इन चुनाव में इस बात की ज़्यादा संभावनाएं के क़ुरान के दुश्मन और मुरतद खुद वक़्फ बोर्ड में घुस सकता है या उसके छुपे हुए या ज़ाहिरी समर्थित सहयोगी मेंबर बन सकते है , शिया वक़्फ़ बोर्ड एक ऐसी लोकतांत्रिक संस्था है जिसमे सिर्फ शिया धर्म के लोग ही मतदाता होते है और उम्मीदवार भी| इसलिए चुनाव सिर्फ शिया क़ौम का मुद्दा है और मुरतद को छोड़ के किसी और मतदाता ने क़ुरान का अपमान नहीं किया बल्कि सभी ने मुरतद की निंदा की है लिहाज़ा शरई एहकामात की रौशनी में इन से बात चीत की जाना ज़रूरी है और उनको इस नाज़ुक मोड़ पर उनकी शरई ज़िम्मेदारी का एहसास दिलाना भी ओलमा का कर्तव्य है| ये मामला सिर्फ शिया क़ौम का है इस लिए क़ौम की भी ज़िम्मेदारी बनती है की वो अपनी एकता की ताक़त दिखाए , अपने अपने स्तर पर क़ौम को इस मामले की संवेदनशीलता से अवगत कराए | मीटिंग में ये प्रस्ताव मंज़ूर किया गया की मुरतद को छोड़ कर सभी मतदाता मुतवल्लिओ से बात चीत की जाये और उनकी राय मिलने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर आगे की कार्य योजना तैयार की जाये | मतदाता मुतवल्लिओ से बात चीत के लिए ओलमा की कमेटी बनाई गयी है | मिटिंग में अधिक संख्या में ओलमा ने भाग लिया | इस सिलसिले में 11 अप्रैल को अंजुमन हाय मातमी की मिटिंग भी रखी गयी है
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