पूछा–UN में भारत की निर्णायक भूमिका कब?

नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने आज संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया। भारत को इस तथ्य पर गर्व है कि यह संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्यों में से एक है। इस ऐतिहासिक अवसर पर, मैं भारत के 1.3 बिलियन लोगों की भावनाओं को साझा करने के लिए इस वैश्विक मंच पर आया हूं।

कब तक इंतज़ार
पीएम मोदी ने कहा, पिछले आठ-नौ महीनों पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र कहां है? आज संयुक्त राष्ट्र में व्यवस्था बदलाव परिस्थिति की मांग है। स्वरूप में बदलाव की व्यवस्था कब पूरी होगी? भारत के लोग यूएन में सुधारों का इंतजार कर रहे हैं।

निर्णायक भूमिका कब
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, एक ऐसा देश यहां विश्व की 18 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या रहती है। जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर प़ड़ रहा है। उस देश को आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा. ‘UN में भारत की निर्णायक भूमिका कब? ‘ हम पूरे विश्व को परिवार मानते हैं।

बदलाव की ज़रूत
संयुक्त राष्ट्र महासभा की 75वीं वर्षगांठ पर बोले पीएम मोदी कि आज हमारे सामने नई चुनौतियां हैं। UN में बदलाव की जरूरत है।

आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता
पीएम मोदी ने कहा कि अगर हम पिछले 75 वर्षों में संयुक्त राष्ट्र के प्रदर्शन का एक उद्देश्यपूर्ण आश्वासन देना चाहते हैं, तो हम कई शानदार उपलब्धियों को देखते हैं। लेकिन, साथ ही, ऐसे कई उदाहरण भी हैं जो संयुक्त राष्ट्र के काम के गंभीर आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता को इंगित करते हैं।

प्रासंगिकता पर सवाल
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज पूरे विश्व समुदाय के सामने एक बहुत बड़ा सवाल है कि जिस संस्था का गठन तब की परिस्थितियों में हुआ था, उसका स्वरूप क्या आज भी प्रासंगिक है?

विश्व युद्धों की बात
पीएम मोदी ने कहा कि ये बात सही है कि कहने को तो तीसरा विश्व युद्ध नहीं हुआ, लेकिन इस बात को नकार नहीं सकते कि अनेकों युद्ध हुए, अनेकों गृहयुद्ध भी हुए। कितने ही आतंकी हमलों ने खून की नदियां बहती रहीं। इन युद्धों में, इन हमलों में, जो मारे गए, वो हमारी-आपकी तरह इंसान ही थे।

कोरोना पर UNO को घेरा
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 8-9 महीने से पूरा विश्व कोरोना वैश्विक महामारी से संघर्ष कर रहा है। इस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहां है? एक प्रभावशाली रेस्पॉन्स कहां है?

बदलाव समय की मांग
प्रधानमंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं में बदलाव, व्यवस्थाओं में बदलाव, स्वरूप में बदलाव, आज समय की मांग है। भारत की आवाज़ मानवता, मानव जाति और मानवीय मूल्यों के दुश्मन- आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी, ड्रग्स, मनी लॉन्डरिंग के खिलाफ उठेगी।