मो. आरिफ़ नगरामी

हुकूमत सऊदी अरब ने गुजिश्ता रात यह एलान करके दुनिया भर के लाखों मुसलमानों की तमन्नाओं पर पानी फेर दिया। कि गुजिश्ता साल की तरह इस साल भी हज महदूद होगा। और इस साल के हज में सऊदी शहरियों के अलावा सऊदी अरब मेें बगरज मुलाजमत अफराद ही हज की सआदत हासिल कर सकेेंगेें। और जिनकी तादाद सिर्फ 60 हजार होगी। वाजे रहे कि मुसलसल दूसरे साल कोरोना वायरस की वजह से हुकूमत सऊदी अरब में हज को महफूज रखने का फैसला किया है। वाजे रहे कि इस्लाम के पांच बुनियादी अरकान में से एक अहेम रूक्न है। हज हर उस बालिग व आकिल मुसलमान और औरत पर जिन्दिगी में एक बार फर्ज है जो मक्का तक जाने की वुसअत रखता हो और जो शख्स हज बैतुल्लाह अदा करेंगा वह बडे अजर व सवाब का मुस्तहक होगा। और जो शख्स हज के अपने ऊपर फर्ज होने के बावजूद हज अदा न करेगा तो वह बहुत बडे गुनाहों का अरतेकाब करने वाला होगा।


हर मुसलमान की तमन्ना होती है कि वह अपनी जिन्दिगी में एक बार हज करने की सआदत हासिल करें। और मदीने पाक जाकर रौजये रसूल सल0 पर दुरूद व सलाम का नजराना पेश करे। कोरोना वायरस ने जहां एक तरफ पूरी दुनिया को मआशी तौर पर तबाही और बर्बादी के दहाने पर पहुंचा दिया है वहीं दुनिया में लाखों अफराद ने इस वेबा की वजह से अपनी जानें गवां देते है। तो कोरोना वायरस ने इबादत गाहों पर ताले भी डलवा दिये है। दुनिया गवाह है कि हर साल जिलहिज्जा के महीने मेें पूरी दुनिया से लाखों फरजन्दाने इस्लाम मक्का मुकर्रमा पहुंच कर हज की सआदत हासिल करते है। क्योंकि हज एक ऐसी अजीम इबादत है जो रजाये इलाही के हुसूल का जरिया ओर बलंिदये दरजाता का वसीला है और हज की अदायगी में कोताही करने वाला शख्स बडा बदनसीब और अल्लाह तआला की रहमत से महरूम है। मगर कोरोना वायरस ने मुसलसल यह दूसरा साल है कि सऊदी अरब से बाहर के मुसलमानों को इस्लाम के इस अजीम रूक्न की अदायगी से रोक दिया गया है। हो सकता है कि अजाबे इलाही हो क्योंकि अल्लाह के बन्दों में इस्लामी तालीम से मुंह मोड कर गैर इस्लामी रस्म व रवाज को अपना लिया हे। हुकूमत सऊदी अरब ने अपने एलान में कहा है कि दुनिया भर में कोरोना वेबा की सूरते हाल और वायरस की नई शक्लें सामने आने के बाद फरीजा की अदायगी अन्दुरूनी मुल्क के आजमीन तक महदूद करने का फैसला किया गया है। एलान में यह बात वाजे कर दी गयी है कि 18 साल से 65 साल की उम्र के आदमी हज की सआदत हासिल करने की इजाजत होगी। हज की अदायगी के लिये वैक्सीन लगवाना बेहद जरूरी है। वैक्सीन के बगैर किसी भी शख्स को हज करने की इजाजत नहंी दी जायेगी। एलान में कहा गया है कि सऊदी हुकूमत के नजदीक आजिमीने हज की सलामती अव्वलीन तजवीज है। इन्सानी जानों का तहफफूज इस्लामी शरीअत का भी अव्वलीन हुसूल है । बयान में कहा गया है कि आलमी वेबा के बाद मशाइरे मकदस में बडी भीड लगाना और उनमें सलामती के हुसूल का इन्तेबाक करना इन्तेहाई मुशकिल काम है। एलान में कहा गया है कि इस साल के लिये जिन जाब्तों का एलान किया गया है वह इसी तरह हैं कि ख्वाहिशमंद सऊदी शहरी हों या सऊदी अरब में मुकीम किसी भी मुल्क से तअल्लुक रखने वाला गैर मुल्की हो हज की अदायगी के लिये आज बरोज इतवार से दरख्वास्तें दे सकता है और हज और उमरा की वेबसाईट पर दरख्वास्तें मन्जूर की जायेंगी।


वाजे रहे कि गुजिश्ता साल भी कोरोना वायरस की वजह से हज महदूद कर दिया गया था। और सिर्फ 10 हजार अफराद ने हज करने की सआदत हासिल की थी। मगर इस साल जब वेबा मेें कुछ कमी के आसार नमूदार हुये थे तो सऊदी अरब ने दुनिया के मुखतलिफ मुल्कों से छोटी तादाद में आजिमीने हज को मक्का आने की इजाजत देने पर गौर किया था मगर अचानक सारी दुनिया में कोरोना ने एक बार केयामत ढा दी और कोरोना की यह दूसरी लहेर पहली लहेर से भी ज्यादा खतरनाक थी जिसकी वजह से लाखों अफराद फौत हो गये। एक बार हवाई परवाजें बंद कर दी गयीं। कई मुमालिक में लाक डाउन हो गया। कई मुल्कों में करफियू लगा दिया गया। जिन्दिगी थम सी गयी। ऐसे हालात में हुकूमत सऊदी अरब का हज को महदूद करने का फैसला दानिशमंदाना है जिसकी हर तरफ से तारीफ की जा रही है और खैरमकदम किया जा रहा है क्यों कि हज की अदायगी के लिये दुनिया भर से लाखों फरजान्दाने तौहीद मक्का मुकर्रमा पहुंचते हे। और जैसा कि सब को मालूम है कि मक्का पहाडिओं पर बसा हुआ मुसलमानेां की निगाह में सबसे मुकद्दस और मुतबर्रिक शहर है। और ऐसा मुतबर्रिक और मुबारक शहर जिसको अल्बदल अमीन भी कहा जाता है। अल्लाह का घर यानी खाना काबा भी है ऐसे हालात में मक्का में वुसअत कम है इसी वजह से आजमीने हज वगैरा के लिये कसीरूल मंजिला इमारत जिसमें आजमीने हज केयाम फरमाते है। उसके बाद जिलहिज्जा की सुबह को लाखों आजिमीन हज को वादी मिना जाना पडता है। वह भी पहाडों के दरमियान एक वादी है जिसमें खेमों में आजिमीने हज को आराम करना होता है और फिर 9 जिलहिज्जा को लाखों फरजन्दगाने तौहीद हज का रूक्ने आजम यानी अरफा के लिये अरफात के मैदान की तरफ रवाना होना पडता है और दिन भर अरफात में ही एहराम की हालत मेें खेमों में दिन गुजारना होता है और ऐसे हालात में अगर आप गौर करें कि अगर कोई कोरोना पाजिटिव शख्स पहुंच गया तो क्या हालत होगी। यह सोचकर भी रांेगटे खडे हो जाते हैं हालांकि आजिमीने हज की तिब्बी निगहदाश्त के लिये बडे पैमाने पर अजीमुश्शन इन्तेजाम करती है। मगर हल्की सी एक चूक से बहुत बडा हादसा हो जाने का खदशा है। फिलहाल इस साल जहो आजिमीने हज मुन्तखब किये जायेंगें उनको पहले कोरोन्टाइन में भेजा जायेगा क्यों कि उनकी सेहत की बराबर जांच की जाती रहेगी। फिर उनको इजाजत होगी कि वह सऊदी अरब हुकूमत के मेहमान के साथ हुकूमत के बताये हुये वसूलों पर अमल करते हुये हज के अरकान को मकुम्मल करें। मक्का में जिन सूरतों में इस साल हज की सआदत हासिल करने वाले आजिमीन हज केयाम करेंगेें उनको अभी से मुहकमये सेहत की निगरानी में दे दिया गया है। होटलों में केयाम करने वाले आजिमीने हज को होटल की जानिब से डाॅक्टरों की निगरानी में तैयार की जाने वाली गिजायें भी फराहम की जायेंगी साथ तमाम होटलों में जिनमें आजिमीने हज केयाम करेंगें डाक्टरेां की एक पूरी टीम तैनात रहेगी। आजिमीने हज को कोरोना प्रोटोकाल के जाब्तों को पूरी तरह अमल करना होगा इसी तरह मीना, अरफतत और मुजदलफा में भी कोरोना जाब्तों के ऐहकामात पर अमल करना होगा हालाकि उन सब पर हुकूमत सऊदी अरब का खर्च होगा। लेकिन हज भी कराना और साथ ही साथ आजिमीने हज की हिफाजत भी सऊदी अरब की जिम्मेदारी है। जो बहुत ही खशनवूदी के साथ निभा रही है।


हज्जे बैतुल्लाह चॅूकि अहेम तरीन इबादत है इसके लिये चाहिये की आजिमीने हज उसे पूरे एहतेमाम और आदाब के साथ और कोरोना पर लोगों के जाब्तों पर अमल करते हुये अदा करें। ताकि अल्लाह तआला उनके हज को कुबूल फरमा ले। हज बैतुल्लाह के के मौके पर मसावात और इत्तेहाद और बेमिसाल मुजाहिरे से यह पैगाम मिलता है कि दुनिया के तमाम मुसलमान अपनी तरह एक साथ मिलजुल कर रहें और आपस मंें इत्तेहाद कायम रखें।