सरकार के फैसले से क्यों नाराज हैं मस्जिद प्रबंधक

तौसीफ कुरैशी

तौसीफ कुरैशी


देवबन्द।कोई भी धार्मिक स्थल नहीं खोला गया है जिस तरह की गाइडलाइन जारी हुई है चाहे वह मंदिर हो मस्जिदें हो गुरूद्वारा हो या गिरजाघर कहाँ खौली जा रही हैं पहले से ही मस्जिदों में पाँच लोग नमाज़ अदा कर रहे थे और अब भी पाँच ही लोगों को अनुमति दी गई है बाक़ायदा मस्जिद के मुतवल्लियों से एक अनुबंध पर हस्ताक्षर कराए जा रहे हैं कि हम इस बात ज़िम्मेदारी लेते हैं कि मस्जिद में पाँच आदमियों से ज़्यादा नमाज़ अदा नहीं करेंगे फिर कहाँ खुलें धार्मिक स्थल वह तो पहले की तरह ही बंद ही रहेंगी और बंद ही रहना भी बेहतर है।मस्जिदों को खौलने की बात सिर्फ़ हवा हवाई है।जिस तरीक़े से कोरोना वायरस अपना रूप दिखा रहा है उससे तो यही लगता है कि अभी मस्जिदों में नमाज़ अदा करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।लोगों को पहले की तरह ही अपने घर पर रहकर ही नमाज़ अदा करनी चाहिए यही बेहतर होगा।अनलॉक 1 के तहत लगभग ढाई महीने बाद सोमवार से देशभर में खुलने जा रहे धार्मिक स्थलों को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने सिर्फ पांच लोगों को ही एक साथ धार्मिक स्थल के अंदर प्रवेश की अनुमति दी है, जिसके बाद एक नया विवाद सामने आया है क्योंकि सरकार के इस फैसले को लेकर लोग नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले का शपथ पत्र लेकर देर रात मस्जिदों के प्रबंधकों के पास पहुंचे पुलिसकर्मियों को भी उस समय बैरंग लौटा दिया गया जब उन्हें पता चला कि पाँच लोगों से अधिक लोग मस्जिद में नमाज अदा नहीं कर सकते।मामला उत्तर प्रदेश की इस्लामिक नगरी देवबन्द का है जहाँ रविवार की देर रात पुलिसकर्मी प्रशासन द्वारा मस्जिदों को खोले जाने से संबंधित शपथ पत्र लेकर मस्जिदों के प्रबंधकों के पास पहुंचे। शपथ पत्र पढ़ने के बाद प्रबंधकों ने उन पर हस्ताक्षर करने से साफ इंकार कर दिया। उनका तर्क था कि शासन ने पहले से ही मस्जिदों में इमाम और मौअज्जन सहित पांच लोगों को नमाज अदा करने की इजाजत दी हुई थी फिर अब इसमें नया क्या है।बता दें कि सोमवार से धार्मिक स्थल खोले जाने के लिए प्रशासन जिन शपथ पत्रों पर प्रबंधकों के हस्ताक्षर करा रहा है उसमें पाँच लोगों को ही नमाज़ अदा करने की शर्त शामिल है।अधिक लोग होने पर प्रबंधक के विरुद्ध कार्रवाई की बात कही गई है।जिस पर मस्जिदों के प्रबंधकों ने नाराज़गी जताई है मोहल्ला अबुल बरकात स्थित सफेद मस्जिद के प्रबंधक आमिर उस्मानी का कहना है कि जब मस्जिद खुल जाएगी तो इसमें आने वाले लोगों को कैसे रोका जाएगा।पहले ही पाँच लोग नमाज़ अदा कर रहे हैं फिर मस्जिद को खोलने से क्या फायदा।इससे बेहतर है कि वे मस्जिद को खोले ही नहीं और पूर्व की भाँति नमाज़ अदा होती रहे। बताया कि उन्होंने शपथ पत्र लेकर पहुंचे पुलिसकर्मियों से साफ कहा कि वे मस्जिद नहीं खोलेंगे। इनके अलावा कई ओर मस्जिदों के प्रबंधकों ने भी शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने से मना करते हुए सोमवार को मस्जिदों के ताले खोलने से इंकार कर दिया।देर रात ये मामला सामने आने के बाद नगर में ये चर्चा का विषय बना हुआ है।लोगों का कहना है मस्जिदों में नमाज़ बा-जमात एक वक्त में एक बार होती है और जब मस्जिदों के ज़िम्मेदार स्वास्थ्य विभाग के सारे दिशा निर्देश मान रहे हैं फिर ऐसी शर्त क्यों लगाई जा रही है, लोगों का कहना है सरकार को अपने फैसले पर पूर्ण विचार करना चाहिए।