लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक आज धन्वन्तरि जयंती के अवसर पर राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि आयुर्वेद की दवाओं में एक विशेष गुण है कि उनसे कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है तथा यह रोग को धीरे-धीरे जड़ से समाप्त कर देती हंै। श्री धन्वन्तरि आयुर्वेद के आदि प्रवर्तक है। यह प्रसन्नता का विषय है कि भारत सरकार ने धन्वन्तरि जयंती को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि अपने देश में अभी भी आमजन को आयुर्वेद की पूर्ण जानकारी नहीं है।

राज्यपाल ने धन्वन्तरि वाटिका राजभवन द्वारा प्रकाशित पत्रक ‘शतायु की ओर’ के 16वें अंक का विमोचन किया। लोकार्पण के पूर्व आयुर्वेद के प्रवर्तक श्री धन्वन्तरि का पूजन एवं माल्यार्पण किया। इस अवसर पर लेडी गर्वनर श्रीमती कुंदा नाईक, प्रमुख सचिव श्री राज्यपाल सुश्री जूथिका पाटणकर, कृषि, वन एवं अन्य विभागों के अधिकारियों सहित, सीमैप, एनबीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ-साथ राजभवन के अधिकारीगण भी उपस्थित थे। राज्यपाल ने श्री धन्वन्तरि जयंती (राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस) को अगले वर्ष बडे़ स्तर पर आयोजित करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि इसमें बड़ी संख्या में सामान्य नागरिकों को भी आमंत्रित किया जाये जिससे कि अधिक से अधिक लोगों को आयुर्वेद का ज्ञान एवं लाभ मिले। राज्यपाल ने कहा कि राजभवन से यह संदेश जाना चाहिए कि आयुर्वेद एक प्रभावी उपचार की पद्वति है। उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आग्रह पर संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में घोषित किया गया है और अब योग को पूरी दुनिया जान रही है। ऐसी ही बात आयुर्वेद के बारे में भी है कि इस विधा की महत्ता को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयुर्वेद की भी पहचान बनेगी।

उल्लेखनीय है कि राज्यपाल द्वारा लोकार्पित किया गया पत्रक ‘शतायु की ओर’ का यह अंक मधुमेह पर आधारित है। पत्रक में मधुमेह रोग के लक्षण, इससे बचने के उपाय तथा इलाज के तरीकों का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसके साथ ही मधुमेह के इलाज में प्रभावी आयुर्वेदिक औषधियों के रूप में प्रयोग किये जाने वाले औषधिय पौंधों का भी उल्लेख है। प्रभारी चिकित्साधिकारी आयुर्वेद एवं प्रभारी धन्वन्तरि वाटिका डाॅ0 शिव शंकर त्रिपाठी ने बताया कि आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस का मूल विषय ‘आयुर्वेद के द्वारा मधुमेह निवारण एवं नियंत्रण’ निर्धारित किया गया है। निरन्तर मुधमेह के रोगियों में हो रही बढ़ोत्तरी से पूरा विश्व चिन्तित है। मधुमेह (डायबिटिज) एक जीवनशैली जन्य रोग है, जिसका निवारण एवं नियंत्रण आयुर्वेद शास्त्रों में वर्णित जीवन-यापन के सिद्धांतों को अपनाकर किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि मधुमेह के वे रोगी जो एलोपैथिक औषधियाँ ले रहे होते हैं, वे आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग एवं वर्णित जीवन-यापन सिद्धांत (आहार-विहार) का भी पालन साथ-साथ करते हैं तो मधुमेह को नियंत्रित करने में आशातीत लाभ होता है। इस अवसर पर सीमैप के वैज्ञानिकों द्वारा सीएसआईआर द्वारा निरन्तर किये जा रहे आयुर्वेदिक औषधियों के शोध के बारे में जानकारी दी और मधुमेह तथा जोड़ों के दर्द में प्रभावी आयुर्वेदिक औषधियों की खोज का उल्लेख किया।