लखनऊ: पिछड़ा समाज महासभा केन्द्र व राज्य सरकारो पर यह आरोप लगाया है कि पिछड़ो, दलितों, मुस्लिमों, इसाईयों व आदिवासियों को उनकी आबादी (जातिवाद) न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका, निजी क्षेत्रों, बहुराष्ट्रीय कम्पानियों मीडिया भवन कृषि, भूमि आदि में हिस्सेदारी नही देना चाहते इस बारे में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय को ज्ञापन भेजा जा चुका है। लेकिन केन्द्र व राज्य सरकारें हिस्सेदारी देने के लिये कोई कदम नही उठा रहा है। जिससे इन समाज के लोगों में दिन पे दिन रोष व्याप्त होता जा रहा है। निश्चित तौर पर यदि हिस्सेदारी नही मिली तो इन समाज के लोगों को अब सड़कों पर उतरने के लिये देर नही लगेगी और जब ये समाज हिस्सेदारी के लिये उतरेगा तो सरकारी दमन भी बड़ी तेजी से होगा लेकिन दमन चाहे जितना हो ये समाज हिस्सेदारी लेकर रहेगा। यह जानकारी आज यहां जारी एक संयुक्त वक्तव्य में महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एहसानुलहक मलिक व राष्ट्रीय महासचिव शिवनारायण कुशवाहा ने दी ।

नेता द्वय ने यह भी बताया कि पिछड़ो, दलितों, मुस्लिमों, आदिवासियों व इसाईयों का पूरे देश में बड़े पैमाने पर किया जा रहा दमन कही सामूहिक कत्ले आम, कही नंगा करके महिलाओं को सरे आम घुमाया जाना, नहरों व कुओं से पानी न भरने देना, दलितों की जमीन पर कब्जा करना, विरोध करने पर सरेआम पिटाई आदि ये आम बात हो गई है और ये सब सरकार की देख रेख में हो रहा है। न्यायपालिका, विधायिका, कार्यपालिका, सब मूकदर्शक बने हुये है।

नेता द्वय ने यह भी बताया कि मीडिया भी इस समाज के साथ हो रहे उत्पीड़न को दिखाई नही देता साथ ही इस समाज की सच्चाई को नही छापता जबकि शासक वर्ग की खबरों को प्रमुखता देता है।

नेता द्वय ने यह भी कहा कि मीडिया पर से पिछड़ो, दलितो, मुस्लिमों, आदिवासियों और इसाईयों का विश्वास उठ चुका है। जब देश के 90 प्रतिशत लोगों का मीडिया से विश्वास उठ चुका है तो आने वाले दिनों में मीडिया का पतन होना स्वाभाविक है।