नई दिल्ली: सियाचीन और लद्दाख के माइनस डिग्री तापमान में जवानों को न तो पोषक खाना मिल रहा है और न ही स्नोगॉगल्स। इसके अलावा जवानों को जो खाना मिल रहा है उसके कैलरी इनटेक में भी कमी है। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। केंद्र सरकार (रक्षा सेवा) पर कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात जवानों को दिए जाने वाले खाने की दैनिक खपत में कमी देखने को मिली है। जवानों को जो खाना मिल रहा है उसमें कैलरी इनटेक 82 प्रतिशत है। इसके अलावा स्नो गॉगल्स की कमी 62 फीसदी से 98 फीसदी है।’

इस रिपोर्ट को राज्यसभा में पेश किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उंचे क्षेत्रों में स्नोगॉगल्स सबसे अहम सामान में से एक है लेकिन इसकी 62 से 98 फीसदी तक कमी है। इसके अलावा जवानों को पुराने जूतों, फेस मास्क, जैकेट्स और स्लीपिंग बैग से काम चलाना पड़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सैनिकों को बेहतर टेक्नॉलजी वाले उत्पादों का उपयोग करने के लाभों से वंचित किया जा रहा है। रिपोर्ट में इस कमी के पीछे डिफेंस लेबोरेटरीज द्वारा रिसर्च और डेवलेपमेंट की कमी के की वजह से आयात पर लगातार निरंतर निर्भरता बनी हुई है।

इसके अलावा ऊंचाई पर तैनात जवानों के लिए उनकी दैनिक ऊर्जा को पूरा करने के लिए विशेष राशन की व्यवस्था की जरूरत है। सियाचिन में भारत और पाकिस्तान के सैनिक 13 साल से एक-दूसरे के सामने डटे हुए हैं। यह दुनिया का सबसे खर्चीला युद्ध क्षेत्र भी माना जाता है।

यहां पर जवानों को जीवन यापन के लिए माइनल डिग्री तापमान में कड़े संघर्ष करने पड़ते हैं। सियाचिन में दुश्मन के मंसूबों को नाकाम बनाने के लिए सेना हर स्थिति में डटी रहती है। हालांकि रिपोर्ट दर्शाती है कि मोदी सरकार सेना की रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने सक्षम नहीं है।