नई दिल्ली; जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर फ्रांस ने भी पाकिस्तान की उम्मीदों को झटका दिया है। दरअसल फ्रांस ने कश्मीर के मुद्दे पर अपने एक बयान में भारतीय पक्ष का समर्थन करते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान को यह मुद्दा द्विपक्षीय तरीके से सुलझाना चाहिए और इसमें किसी बाहरी हस्तक्षेप की जरुरत नहीं है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को फ्रांस के दौरे पर गए हुए हैं। वहां एक संयुक्त संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में जम्मू कश्मीर को लेकर उक्त बात कही गई है।

पीएम मोदी ने गुरुवार को अपने फ्रांस दौरे पर फ्रांसिसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन से मुलाकात की। इस दौरान जम्मू कश्मीर समेत कई मुद्दों पर दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच बातचीत हुई। मुलाकात के बाद एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों देशों के नेताओं ने अपने बयान जारी किए। फ्रांसिसी राष्ट्रपति मैक्रॉन ने अपने बयान में कहा कि जम्मू कश्मीर मुद्दे पर उनकी पीएम मोदी से बात हुई है और वह इस मुद्दे पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से भी बात करेंगे और उन्हें कहेंगे कि यह मुद्दा द्विपक्षीय तरीके से सुलझाया जाना चाहिए।

मैक्रॉन ने ये भी कहा कि किसी भी देश को इस मुद्दे पर हिंसा नहीं करनी चाहिए। इसके साथ ही फ्रांसिसी राष्ट्रपति ने ये भी कहा कि लोगों के अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बयान में जम्मू कश्मीर मुद्दे का कोई जिक्र नहीं किया। उल्लेखनीय है कि बीते दिनों यूनाइटेड नेशन्स में जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर हुई अनौपचारिक बैठक में भी भारत का समर्थन किया था।

फ्रांसिसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने अपने बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस प्रस्ताव का भी समर्थन किया, जिसमें उन्होंने आतंकवाद के मुद्दे पर एक ग्लोबल कॉन्फ्रेंस आयोजित करने को कहा था। पीएम मोदी ने यह प्रस्ताव तीन माह पहले अपने मालदीव दौरे पर दिया था। फ्रांस ने अफगानिस्तान के मुद्दे पर भी भारत का समर्थन करते हुए कहा कि अफगानिस्तान में राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव समय से होने चाहिए और अफगानिस्तान आतंकियों की पनाहगाह नहीं बनना चाहिए और वहां मानवाधिकारों और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए।

पीएम मोदी के इस दौरे पर दोनों देशों के बीच साइबर सिक्योरिटी, डिजिटल टेक्नॉलोजी, 6 न्यूक्लियर रिएक्टर के निर्माण और ज्वाइंट मैरीटाइम सर्विलांस समेत कई मुद्दों पर सहयोग करने की सहमति बनी। फ्रांस इसके साथ ही अंतरिक्षयात्रियों को मेडिकल सहायता देने वाले स्टाफ को ट्रेनिंग भी देगा। दरअसल भारत के स्पेस मिशन में इससे काफी मदद मिलेगी।

इसके अलावा दोनों देशों के बीच स्टूडेंट एक्सचेंज पर भी बात हुई। दोनों देशों में साल 2018 में इस साल तक 10,000 छात्रों के एक्सचेंज पर बात हुई थी, जो कि पूरा होने वाला है। ऐसे में अब दोनों देशों ने इस लक्ष्य को बढ़ाकर साल 2025 तक 20,000 छात्र कर दिया है।