(अगस्त क्रान्ति पर विशेष)

कृष्ण्कांत

देश के वीर सपूतों ने भारत वर्ष से अंग्रेजों को बाहर निकालने के लिये अब से 75 साल पहले जिस क्रान्ति का विगुल बजाया था उसे आज ”अगस्त क्रान्ति” के नाम से जाना जाता है। उस महान अगस्त क्रान्ति में गाजीपुर जनपद का योगदान अविस्मरणीय है। गाजीपुर जनपद में अनेक प्रसिद्ध स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी हुये, देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम जिसे “सिपाही आन्दोलन” के नाम से जाना जाता है के नायक मंगल पांडेय इसी जपनद के सपूत थे। वीरता के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित अमर सेनानी बीर अब्दुल हमीद का जन्म गाजीपुर मे ही हुआ था। तत्कालीन भारत का एक और प्रसिद्ध आन्दोलन “निलहा साहेब आन्दोलन“ का संबन्ध भी यहीं की धरती से था। गाजीपुर जनपद के बीर सपूतों ने ”भारत छोड़ो आन्दोलन” में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था। खिलाफत आन्दोलन, होमरुल, रौलेट एक्ट, नमक कानून, विदेशी वस्त्रों का बहिस्कार और सत्याग्रह आन्दोलन में भी जनपद का योगदान भुलाया नही जा सकता। डा0 मुख्तार अहमद अन्सारी, डा0 सैयद मुहम्मद काजी, निजमुल हक अन्सारी, सहजानन्द सरस्वती, भागवत मिश्र, गजानन मारवाड़ी, विश्वनाथ शर्मा, हरि प्रसाद सिंह, बसीर, देव करन सिंह, राम मूरत सिंह, भोला सिंह, राम जस सिंह, इंद्रदेव त्रिपाठी, राम स्वरुप पंाडेय, सरजू पांडेय, दल सिंगार दूवे, पं0 बलदाऊ जी, सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह, राम वहादुर शास्त्री आदि अनेकों सेनानियों का योगदान आज भी प्रासंगिक है। इनके अतिरिक्त अनेकों सेनानी एैसे हैं जिनकी कहानी इतिहास के पन्नों में दबी रह गयी है। इन्ही गुमनाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में श्री विश्वम्भर राम भी थे जिनकी कहानी राजकीय अभिलेखों मे आज भी दर्ज है। ग्राम धुन्धपुर के वरिष्ठ निवासियों से पड़ताल करने पर श्री विश्वम्भर राम के बारे में जानकारी प्राप्त हुयी।

श्री विश्वम्भर राम का जन्म गाजीपुर जिले के ग्राम धुन्धपुर पोस्ट सौना तहसील सैदपुर में 5 मार्च 1894 में हुआ था। इनके पिता का नाम मथुरा राम था एवं इनका मुख्य कार्य खेती था। बचपन से ही सामाजिक कार्यों में रुचि होने के कारण अपने पिता के साथ आसपास के गावों में होने वाले सभा पंचायतो में भाग लेते रहते थे, जिसकी वजह से किशोरावस्था में ही खेती किसानी के साथ साथ सामाजिक कार्यों में भी निपुण हो गये थे। कुशाग्र बुद्धि के होने के कारण प्राथमिक शिक्षा के दौरान ही अच्छी तरह पढ़ना लिखना सीख गये थे। इन्ही दिनों स्वतन्त्रता आनदोलन के कारण आप कांग्रेसी नेताओं के सम्पर्क में आये तथा पं0 बलदाउÿ जी के सम्पर्क में होने के कारण आपको खानपुर परिमण्डल का संयोजक नियुक्त किया गया। अबतक आप क्षेत्र में नेता जी के नाम से प्रसिद्ध हो चुके थे। मन कर्म और वचन में गांधी जी के प्रति अगाध श्रद्धा होने के कारण आप गांधी टोपी, खादी का कुर्ता व धोती पहनने लगे तथा कन्धे पर लटकानें वाला झोला धारण करते थे, जिसे आपकी माता स्वयं चरखा से सूत कात कर तैयार करतीं थीं एवं स्वयं बुनवाती थीं। जब देश में अंग्रेजों भारत छोड़ो आन्दोलन चल रहा था उस समय तक आपकी अवस्था 40-45 वर्ष हो चुकी थी एवं आपके अन्दर भी भारत माता की सेवा की ज्वाला धधक रही थी, इसी क्रम में वे देश की आजादी हेतु विभिन्न सभा बैठकों में सक्रिय रहते हुये जेल भरो आनदोलन में सहयोग करते थे। आपके परिवार में आपके अतिरिक्त चार भाई और थे, शेष भाई खेती वाड़ी करते थे व आप पूर्ण रुप से स्वतन्त्ऱता आन्दोलन में लीन रहने लगे। उसी दौरान इन्हें पता चला कि इनके साथी श्री रामदेव सिंह एवं गुरु श्री दलसिंगार दूबे को अंग्रेजी सरकार ने जेल में डाल दिया है, तब आपने घरबार छोड़ कर आन्दोलन को धार देना आरम्भ कर दिया। आपके हमेशा घर से बाहर रहने के कारण थाने से सिपाही, दरोगा घर पर दविश डालने लगे एवं घर के लोगों को परेशान करनें लगे। इसी दौरान थाने से सिपाहियों ने घर पर जाकर तोड़फोड़ करते हुये माॅ का चरखा भी तोड़ दिये तथा कुछ सामान उठाकर ले गये। जब आपको इस घटना का पता चला तो प्राइमरी पाठशाला अनौनी पर क्षेत्र वासियों के साथ बैठक कर अंग्रेजी सरकार को चेतावनी देते हुये इस घटना के विरुद्ध सत्याग्रह करने का निर्णय लिया व भूमिगत हो गये।

अंग्रेजी हूकूमत को जब इस घटना की जानकारी हुयी तो दिनांक 4 अप्रैल 1941 को आपके खिलाफ वारंट जारी करते हुये तत्काल गिरफ्तार करने का हुक्म स्थानीय थाने को दिया। दिनांक 7 अप्रैल 1941 को प्राइमरी पाठशाला अनौनी पर विशाल जनसभा में सत्याग्रह करते हुये श्री विश्वम्भर राम जब चबूतरे पर खड़े होकर अंग्रेजों के खिलाफ भाषण देने लगे उसी समय स्थानीय थाने के सिपाहियों द्वारा उन्हे हथकड़ी लगाकर गिरफ्तार कर लिया गया और वे भारत माता की जय बोलते हुये और अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा लगाते हुये जेल चले गये। उस समय आपने अपने घर वालों से कहा कि वे भारत माता की रक्षा के लिये जेल जा रहे हैं और देश को स्वतंत्र करा कर घर लौटेंगे। उस समय आपका एकलौते पुत्र बेचई राम जो 3-4 वर्ष के थे, आपके गोद मे जाने की जिद कर रहे थे। इस पर उन्होने अपने पुत्र से कहा कि वो अपने माॅ के पास जा रहे हैं और तुम अपने माॅ के पास रहो।

श्री विश्वम्भर राम के खिलाफ सबूत दफा 38(5) डी.आई.आर. के तहत में तत्कालीन गाजीपुर न्यायालय के जज मिर्जा अजीजुद्दीन खान अहमद ने दिनांक 30.04.1941 को सुनवाई करते हुये एक माह सख्त कैद व 10 रु जुर्माना की सजा सुनाई। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में एक माह और सख्त सजा का आदेश दिया। उपरोक्त सजा को सहर्ष स्वीकार करते हुये आपने श्री विश्वम्भर राम अपनी सजा पूरी कर जिला कारागार गाजीपुर से दिनांक 4 जून 1941 को रिहा हुये और घर वापस आकर पुनः देश सेवा में रम गये।

आजादी के पश्चात घरवालों एवं समाज के लोगों ने आपसे सरकारी सहायता प्राप्त करने के लिये दरख्वास्त देने के लिये कहा परन्तु आपने यह कहते हुये इनकार करदिया कि उन्होने देश सेवा पैसों के लिये नहीं की थी। देश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद आपको अनेको बार स्वतन्त्र रुप से डिस्ट्रिªक बोर्ड के सदस्य मनोनीत किये गये। वर्ष 1952 में इनके दोस्त ठा0 देवकरन सिंह आदि ने कांग्रेस पार्टी छोड़कर प्रजा शोसलिस्ट पार्टी में शामिल हो गये तथा आपको भी शोसलिस्ट पार्टी में ले गये। सैदपुर विधानसभा से 1952 मे आपने विधायक का चुनाव भी लड़ा। इसके बाद जिला कांग्रेस कमेटी नें कई बार कांग्रेस से चुनाव लड़ने हेतु दबाव बनाया परन्तु आपने एक शिक्षित होनहार युवक श्री देवू राम को कांग्रेस का टिकट दिलाने की हामी भर चुके थे।

वर्ष 1960-61 में सैदपुर विकास खण्ड के प्रथम चुनाव में बी.डी.सी. के सदस्य रहे व सक्रिय राजनीति में रहते हुये समाजसेवा में लगे रहे तथा बेगार प्रथा, सामन्ती शासन एवं दाई कर्म का विरोध करते हुये इन्हें अपने समाज से पूर्णतया समाप्त कराये। जीवन के आखिरी समय तक आप समाज सेवा में लगे रहे एवं क्षेत्र में मेम्बर साहब के नाम से प्रसिद्ध रहे। 5 मई 1980 को अपने निवास पर ग्राम धुन्धपुर में साधारण बीमारी से मृत्यु को प्राप्त हुये।

वर्तमान समय में इनके पुत्र श्री बेचई राम, खण्ड विकास अधिकारी के पद से सेवानिवृत होकर जिला मुख्यालय पर मोहनपुरवा मोहल्ला में रहतें है। अपने सेवा काल में लगातार दो वर्ष तक जनपद के उत्कृष्ट खण्ड विकास अधिकारी चुने गये एवं रजत पदक से सम्मानित किये गये। सेवानिवृत होने के पश्चात श्री बेचई राम सक्रिय समाज सेवा के साथ अम्बेडकर मिशन से जुड़े हुये हैं तथा गौरमेन्ट पेंशनर्स वेलफेयर आर्गनाइजेशन, उत्तर प्रदेश, शाखा गाजीपुर के 2001 से निर्विरोध अध्यक्ष हैं।

( उपरोक्त विवरण एवं जेल जाने व कैद रहने और रिहा होने से सम्बन्धित तमाम सबूत जिलाधिकारी गाजीपुर के रिकार्डरुम से लिया गया है।)