नरेन्द्र सिंह राणा

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर अमर्यादित टिप्पणी कर उनको शैतान की औलाद कह कर मायावती ने अपनी समझ का परिचय दिया था। उस समय तक मायावती को कोई बडा नेता नही मानता था न ही जनता था। मान्यवर काशीराम जी बसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। मुलायम सिंह यादव जी की पार्टी सपा व काशीराम की पार्टी बसपा ने उत्तर प्रदेश में मिलकर चुनाव लड़ा। सपा-बसपा की सरकार बनी। मुलायम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। बसपा ने मायावती को उत्तर प्रदेश बसपा का प्रभारी बनाया। घोर जातिवादी राजनीति का दौर था। वहां तरह तरह के नारे लगाए जाते थे। उसी समय मायावती ने कहा कि माहत्मा गांधी ने अनुसूचित जाति को हरिजन का नाम दिया जब अनुसूचित जाति हरिजन है तो क्या गांधी जी शैतान की औलाद है। जबरदस्त विरोध कांग्रसियों ने किया, धरने पर बैठ गई कांग्रेस पार्टी। मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने मायावती के बयान से पल्ला झाड़ते हुए उससे असहमति जताई। भारतीय जनता पार्टी ने उस दुखद बयान पर अपना विरोध प्रकट किया। सरकार में जबरदस्त भ्रष्टाचार का बोल बाला था। एक हाथ से सपा लूट रही थी दुसरे हाथ से बसपा। भाजपा प्रमुख विपक्षी दल के नाते इनकी लूट खसोट व बदजुबानी पर उत्तर प्रदेश में इनको ललकार रही थी। भारतीय जनता पार्टी के सर्वमान्य नेता प0 अटल बिहारी बाजपेयी जी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सांसद थे। उनका अपने संसदीय क्षेत्र लखनऊ आना जाना रहता था। कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष थे, उनकी जनता में अपनी पहचान थी। बसपा-सपा ने उत्तर प्रदेश से बाहर पैर पसारने की तमाम कोशिशे की लेकिन इनकी यूपी को छोड कही दाल नही गली। सरकार में मनमुटाव तो प्रारम्भ से ही था कुछ ही समय बाद वह मनमुटाव तल्खीयों में बदल गया। काशीराम-मुलायम सिंह की समय-समय पर भेंट भी उस तल्खी को कम नही कर सकी और वह समय भी आ गया कि बसपा ने सपा सरकार से समर्थन वापसी का संकेत दे अपने विधायको की बैठक बुलाई। मायावती जी के नेतृत्व में मीरा बाई मार्ग स्थित गेस्टहाउस में विधायको की आपात बैठक बुलाई गई। तय समय से पहले ही सपा के लोगों ने गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया। विधायको को आपात जबरदस्ती उठा कर गाडियों में ठूस-ठूस सुदूर जनपदो में पहुॅचाकर छोड दिया गया। बैठक तितर बितर हो गई। मायावती जी के साथ मारपीट व बदसलूकी की गई। किसी तरह जान बाचने के लिए वह गेस्ट हाउस के एक कमरे में छूप गई। सपाईयों ने कमरे को घेर लिया था उनको और अधिक छति पहुॅचाने की कोशिश होने लगी। इसीबीच उत्तर प्रदेश पुलिस के एक पीपीएस अफसर जो वहां मौजूद थे उन्होंने भाजपा के एक बडे नेता को इस गम्भीर स्थिति से अवगत कराते हुए हस्तक्षेप करने को कहा। लैण्ड लाइन फोन का जमाना था सूचना देने का और कोई तरीका नही था। जिस कमरे में मायावती जी ने खुद को छिपाया हुआ था उसी कमरे में एक छोटा कमरा और था क्योंकि अटल जी उसी कमरे में रूकते थे वह लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष थे अतः उनको एक रूम में ही लैण्ड लाईन फोन मिला था।

कमरे मे कोई फोन है इसकी जानकारी सपाईयों को नही थी। भाजपा नेताओं को मायावती जी ने उस फोन से फोन कर अपनी जान बचाने की गुहार लगाई। कल्याण सिंह जी पार्टी अफिस में थे, उन्होने फोन पर मायावती जी को सुना और 10 मिनट के अन्दर मदद की बात कही। भाजपा नेता ने अटल जी को दिल्ली में सारी घटना की जानकारी दी। अटल जी ने तुरन्त फोन पर उस समय के प्रधानमंत्री पी0वी0 नरसिम्हाराव से बात की। प्रधानमंत्री राव साहब ने अपने गृहमत्री शंकर राव चैहान से बता की। गृहमंत्री ने उत्तर प्रदेश के गवर्नर मोती लाल बोहरा जी से बात कर हालात को नियत्रण में करने को कहा। भाजपा के इस प्रयास के कारण मायावती जी की जान बची। भाजपा नेता ब्रहमदत्त द्विवेदी अपने समर्थको के साथ गेस्ट हाऊस 5 मिनट में ही पहुॅचे गए। उन्हे देख वहां मौजूद सपा के दबंग भाग खडे हुए। उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा। भाजपा ने मायावती को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया। भाजपा के समर्थन से पहली बार मायावती जी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी। मुख्यमंत्री बनने से पहले मायावती जी ने भाजपा की लखनऊ के चैकस्थित स्थान पर बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिस प्रकार भाजपा ने उनकी जान बचाई उसके कारण वह आज जिन्दा है। इस अहसान को मैं जीवन भर नहीं भूलेगी। बहुत सी बातें मायावती जी ने भाजपा के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कही। मैं भी उस समय बैठक में मौजूद था, मैने पहली बार मायावती जी को बोतले हुए सुना व देखा। उस समय बैठक में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ0 मुरली मनोहर जोशी जी भी मौजूद थे। भाजपा ने मायावती की न केवल जान बचाई बल्कि उनको तीन बार उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री भी बनाया। भाजपा ने बिना लाभ हानि के मायावती की मदद की। मायावती जी ने भाजपा को धोखा दिया और अचानक त्याग पत्र देकर अपने को सरकार से अलग किया। इस बार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने से पहले मायावती जी भाजपा मुख्यालय आई। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष वेकैंया नायडू जी के साथ प्रेस को सम्बोधित किया।

भाजपा मुख्यालय में दोनो दल वादे के अनुसार यूपी में मायावती मुख्यमंत्री केन्द्र में भाजपा का प्रधानमंत्री, साथ ही लोकसभा में 50 सीटो पर भाजपा 30 सीटो पर बसपा लडेगी यह समझौता हुआ। समझौते के अनुसार मायावती जी को भाजपा ने उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया। मायावती ने मात्र 18 महिने में अपना जनाधार बढा कर, भाजपा से समझौता तोड़ दिया। इस प्रकार मायावती जी ने उस समय पल्टी मारी। अब इस बार 2014 में लोकसभा में भाजपा की आंधी चली मा0 नरेन्द्र भाई मोदी जी को आपार जन समर्थन मिला। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटो में भाजपा ने 73 सीटे जीती। मायावती एक भी सीट नही जीत सकी। इस बार 2017 के विधानसभा चुनाव में भी मायावती की पार्टी डबल डिजिट के अंक में नहीं पहुॅच पाई। लगातार जनता के हाथों मात खाई मायावती जी ने सहारनपुर में जाकर हिंसा करने वालो का साथ दिया। अब मरती क्या न करती । वह इस्तीफे का बहाना ढूढ रही थी। राज्यसभा से पहले तो वह सहारनपुर में ही इस्तीफा देना चाहती थी लेकिन समय, स्थान को बदल कर दिल्ली व राज्यसभा को चुना।

उच्च सदन में मायावती का कार्यकाल 2018 तक था। अपने त्याग पत्र में उपराष्ट्रपति पर अपनी बात नही कहने देने का आरोप लगाया था। दरअसल 2014 के चुनाव में चारों खाने चीत हो जाने पर मायावती जी परेशान थी। उसके बाद पार्टी के तमाम बडे नेताओं ने बसपा को टाटा बाए बाए कह दिया। बसपा के विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा अध्यक्ष मायावती पर टिकट के बदले नोट लेने के जगजाहिर आरोप पर अपनी मोहर लगाई। पार्टी के ब्रहामण चेहरा माने जाने वाले दो बार के सांसद ब्रजेश पाठक ने भी पार्टी को टाटा कह दिया। बसपा के बडे नेता रहे दोनो ने भाजपा का दामन थामा। 2017 विधानसभा चुनाव में भी बसपा की करारी हार हुई और पार्टी इस स्थिति में भी पहुॅच गई कि चाह कर भी मायावती जी को राज्यसभा नहीं भेज सकती। इसी बीच बसपा के कद्ावर नेता, मुस्लिम चेहरा रहे नसीमुदीन सिद्धकी ने भी मायावती पर भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोप लगते हुए पार्टी को बाए-बाए कह दिया। इस विकट पराजय की स्थिति में मायावती जी अपना जनाधार खो चुकी थी। उनके भाई आनन्द के ऊपर अकूत सम्पति बनाने के मामले की जांच भी चल रही है। फर्जी कम्पनीया बनाकर जनधन के लाखों करोड़ की लूट के इस कपटी धन्धों का बोझा ढोहते-ढोहते वह शायद पूरी तरह टूट चुकी है। अतः बहाना ढूठ रही मायावती ने इस्तीफा देने का निर्णय किया।