पड़ोसियों के साथ अच्छा व्यवहार, शांतिपूर्ण समाज की बुनियाद है: एजाज़ असलम
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद द्वारा ‘आदर्श समाज के निर्माण में पड़ोसी की भूमिका’ विषय पर संगोष्ठी
लखनऊ:
पड़ोसी समाज की एक छोटी लेकिन बहुत महत्वपूर्ण इकाई है। इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकारों को विशेष महत्व दिया गया है और इसे शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण समाज की नींव बताया गया है। कुरआन में स्पष्ट आदेश है कि मोमिन न केवल अपने क़रीबी पड़ोसियों, बल्कि सहकर्मियों, हमसफर लोगों और यहाँ तक कि सड़क पर साथ चलने वालों के साथ भी अच्छे व्यवहार से पेश आएँ।
इन विचारों को जमाअत-ए-इस्लामी हिंद की सलाहकार समिति के मेंबर और रेडियंस के चीफ एडिटर एजाज़ असलम ने आज लखनऊ में जमाअत ए इस्लामी हिंद शहर इकाई द्वारा आयोजित संगोष्ठी में अपने अध्यक्षीय भाषण के दौरान व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि जमाअत-ए-इस्लामी हिंद ने ‘पड़ोसियों के अधिकार’ विषय पर देश भर में 10 दिवसीय मुहिम की शुरुआत की है, जो ‘आदर्श पड़ोस – आदर्श समाज’ के नारे के साथ पूरे देश में चलाई जा रही है। इस मुहिम का उद्देश्य लोगों में पड़ोसियों के प्रति भलाई, सहयोग और अच्छे संबंधों की भावना को फिर से जीवित करना और सामाजिक संबंधों को मज़बूत बनाना है।
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद पूर्वी यूपी के सचिव मौलाना अतीकुर्रहमान इस्लाही ने कहा कि एक समाज जो अच्छे पड़ोस और सौहार्द पर स्थापित हो, वह अपने आप ही एक आदर्श समाज बन जाता है। जब लोग अपने पड़ोसियों के साथ नरमी, सहनशीलता और इंसाफ से पेश आते हैं तो इसका सकारात्मक प्रभाव पूरे समाज पर पड़ता है।
संगोष्ठी में अपने विचार रखते हुए बी.आर. बौद्ध ने कहा कि हर धर्म में अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों के साथ अच्छा व्यवहार करने की शिक्षा दी गई है। आज के डिजिटल दौर में लोग आपस में मिलना-जुलना कम करते जा रहे हैं। हमें इतना व्यस्त नहीं हो जाना चाहिए कि अपने पड़ोस की खबर भी न रहे। हमें अपने आसपास के लोगों से अच्छे संबंध बनाने चाहिए और उनके दुख-सुख में शामिल होना चाहिए।
इसके अलावा संगोष्ठी में तारिक शफीक, ज़ीशान सिद्दीकी, मोहम्मद यूनुस और आकिब रऊफ ने भी अपने विचार व्यक्त किए।








