हकदारी व विधिमान्यकरण अध्यादेश अनुचित व अन्यायपूर्ण – वर्कर्स फ्रंट
लखनऊ
उत्तर प्रदेश सरकार के वित्त विभाग द्वारा कल जारी किया गया हकदारी व विधिमान्यकरण अध्यादेश 2025 पूर्ण रूप से अन्यायपूर्ण और अनुचित है। सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के जरिए बिना मौलिक नियुक्ति और बिना नियमावली के नियमितीकरण किए गए कर्मचारियों को सरकारी सेवा की पेंशन से वंचित कर दिया गया है। चाहे वह कर्मचारी भविष्य निधि के तहत अपना अंशदान जमा भी कर रहें हो। यह सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना भी है। इसलिए कर्मचारी विरोधी इस आध्यादेश को सरकार को तत्काल प्रभाव से वापस लेना चाहिए। यह मांग आज यू. पी. वर्कर्स फ्रंट ने प्रदेश सरकार से की है।
वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर दुर्गा प्रसाद और महासचिव रामशंकर ने प्रेस को जारी अपने बयान में कहा कि सरकार ने अध्यादेश के जरिए अस्थाई, दैनिक वेतन और संविदा के ऐसे कर्मचारी जिन्हें नौकरी के दौरान नियमित किया गया है, उन्हें सरकारी पेंशन से वंचित किया है। अध्यादेश में कहा गया है कि संविदा की अवधि को उनकी सरकारी कार्यावधि में जोड़ा नहीं जाएगा। जबकि आनंद प्रकाश मणि त्रिपाठी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मुकदमे में 11 जून 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविदा या दैनिक कार्य की अवधि को भी सेवा में जोड़ा जाएगा और इसके अनुरूप सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी पेंशन के भुगतान के लिए सरकार को निर्देशित किया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि उन्हें पेंशन से वंचित करना अनुचित और अन्यायपूर्ण है। इसी तरह उत्तराखंड के वन विभाग के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की तरफ से उत्तराखंड उच्च न्यायालय में सुरेश कंडवाल वर्सेस स्टेट आफ उत्तराखंड में 22 अगस्त 2024 को न्यायमूर्ति रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने दैनिक वेतन कर्मचारियों की सेवा अवधि को भी सरकारी कार्य की ही सेवा अवधि मानते हुए सरकारी पेंशन देने का आदेश सरकार को दिया है। बावजूद इसके अध्यादेश लाकर पेंशन से वंचित करना अन्यायपूर्ण है।
बयान में कहा गया कि दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार माननीय सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाईकोर्टों के आदेशों को भी मानने को तैयार नहीं है। इन न्यायालयों के आदेशों को निष्प्रभावी बनाने के लिए ही यह हकदारी व विधिमान्यकरण अध्यादेश 2025 लाया गया है। वर्कर्स फ्रंट ने उत्तर प्रदेश के सभी कर्मचारी संगठनों और मजदूर संगठनों से अपील की है कि दैनिक वेतन, संविदा कर्मचारियों को पेंशन के अधिकार से वंचित कर उनकी सामाजिक सुरक्षा खत्म करने की सरकार की कार्यवाही का वह अपने स्तर पर विरोध करें। वर्कर्स फ्रंट ने राज्य के विपक्षी दलों से भी निवेदन किया है कि वह विधानसभा में सुनिश्चित करें कि यह अध्यादेश कानून न बन सके।








