लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने मुख्य चुनाव आयुक्त डाॅ0 नसीम जैदी को पुनः पत्र लिखकर कहा है कि बलिया की रसड़ा विधान सभा सीट से विधायक श्री उमाशंकर सिंह के प्रकरण में निकट भविष्य में प्रस्तावित उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के दृष्टिगत शीघ्र निर्णय लेकर उन्हें भी अवगत कराया जाये, जिससे वे संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत विधायक की सदस्यता के संबंध में अंतिम निर्णय ले सकें। राज्यपाल ने पत्र में उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा 28 मई, 2016 को चुनाव आयोग को शीघ्र निर्णय लेने के आदेश का भी हवाला दिया है। उन्होंने पत्र में कहा है कि निर्णय करने में अनावश्यक विलंब से मीडिया और आम जनता में निर्वाचन आयोग के प्रति गलत संदेश जा रहा है।
राज्यपाल ने इससे पूर्व 9 अगस्त, 2016 को विधायक के सदस्यता के संबंध में चुनाव आयोग को पत्र प्रेषित किया था, जिसके जवाब में चुनाव आयोग ने 01 सितम्बर, 2016 को पत्र द्वारा अवगत कराया था कि प्रकरण की जांच पूर्ण होने पर आयोग द्वारा शीघ्र उन्हें अभिमत से अवगत कराया जायेगा। राज्यपाल ने 16 सितम्बर, 2016 को इस संबंध में मुख्य चुनाव आयुक्त से दूरभाष पर वार्ता भी की थी जिस पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने प्रकरण पर शीघ्र निर्णय लेने की बात कही थी। तत्पश्चात् राज्यपाल ने 5 नवम्बर, 2016 को इस संबंध में स्मरण पत्र भी भेजा था।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा विधान सभा का सामान्य निर्वाचन मार्च, 2012 में सम्पन्न हुआ था और निर्वाचन आयोग द्वारा चुने गए विधायकों को 6 मार्च, 2012 को निर्वाचित घोषित किया गया था। श्री उमाशंकर सिंह वर्ष 2009 से सरकारी ठेके लेकर सड़क निर्माण का कार्य करते आ रहे थे। उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त न्यायमूर्ति एन0के0 मेहरोत्रा ने प्राप्त शिकायत के आधार पर सरकारी कन्टैªक्ट लेने के आरोप में विधायक श्री उमाशंकर सिंह को दोषी पाते हुये मुख्यमंत्री को अपनी जाँच रिपोर्ट प्रेषित की थी जिसे मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को भेज दिया था। राज्यपाल ने प्रकरण भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली के अभिमत के लिये संदर्भित कर दिया था। भारत निर्वाचन आयोग से दिनांक 03 जनवरी, 2015 को अभिमत मिलने के बाद श्री उमाशंकर सिंह ने राज्यपाल के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिये समय दिये जाने का अनुरोध किया था जिसे स्वीकार करते हुये राज्यपाल ने दिनांक 16.01.2015 को भेंट कर उनका पक्ष सुना। तत्पश्चात् राज्यपाल ने आरोपों को सही पाते हुये श्री उमाशंकर सिंह को विधायक निर्वाचित होने की तिथि 6 मार्च, 2012 से विधान सभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था। राज्यपाल के निर्णय के विरूद्ध अयोग्य घोषित विधायक श्री उमाशंकर सिंह ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में वाद दायर किया था, जिस पर 28 मई, 2016 को निर्णय देते हुये न्यायालय ने कहा था कि चुनाव आयोग प्रकरण में स्वयं जांच कर निर्णय से राज्यपाल को अवगत कराये और उसके पश्चात् राज्यपाल प्रकरण में संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत अपना निर्णय लें। इस प्रकरण में शीघ्रता से निर्णय करने के बारे में राज्यपाल ने निर्वाचन आयोग को गत 14 दिसम्बर को पत्र लिखा है।