दीपक कुमार त्यागीस्वतंत्र पत्रकार, स्तंभकार व रचनाकार एक प्रसिद्ध शायर ने खूब कहा है कि “एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा,आँख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा।” ओजस्वी