तौक़ीर सिद्दीक़ी पूजा-आरती, अज़ान-नमाज़, तीज-त्यौहार यह सब तो प्रेम, मोहब्बत, शांति और सुकून के पर्यायवाची माने जाते थे पर ऐसा क्या हो गया कि यह शब्द अब विलोमार्थी हो गए. पिछले कुछ