Tag Archives: firdaus khan

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संजीव कुमार: ख़्वाब, जो हक़ीक़त हुआ…

संजीव कुमार की पुण्यतिथि 6 नवंबर पर विशेष -फ़िरदौस ख़ान मुम्बई मायानगरी है, ख़्वाबों का शहर है। एक ज़माने से देश के कोने-कोने से युवा हिन्दी सिनेमा में छा जाने का ख़्वाब
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रहें न रहें हम, महका करेंगे…

मजरूह सुल्तानपुरी की जयंती 1 अक्टूबर पर विशेष -फ़िरदौस ख़ान गीत जब ज़ुबान पर चढ़ जाते हैं, तो वे सीधे दिल की गहराइयों में उतर जाते हैं. यह गीत के शब्दों का
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ज़िन्दगी की सांझ में बुज़ुर्गों का सहारा बनें

अंतरराष्ट्रीय बुज़ुर्ग दिवस (एक अक्टूबर) पर विशेष -फ़िरदौस ख़ान मां-बाप बड़े लाड़-प्यार से बच्चों की परवरिश करते हैं। उन्हें अच्छे से अच्छा खिलाने-पिलाने की कोशिश करते हैं। ख़ुद पुराने कपड़े बरसों तक
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अपनी भाषा हिन्दी पर गर्व करें

-फ़िरदौस ख़ान हर भाषा की अपनी अहमियत होती है। फिर भी मातृभाषा हमें सबसे प्यारी होती है, क्योंकि उसी ज़ुबान में हम बोलना सीखते हैं। बच्चा सबसे पहले मां ही बोलता है।
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मिलावटी मिठाइयों का बढ़ता कारोबार

-फ़िरदौस ख़ान त्यौहार के दिनों मे बाज़ार में नक़ली मावे और पनीर से बनी मिठाइयों का कारोबार ज़ोर पकड़ लेता है. आए-दिन छापामारी की ख़बरें सुनने को मिलती हैं कि फ़लां जगह
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रंग कुछ कहते हैं…

-फ़िरदौस ख़ान मानव सभ्यता में रंगों का काफ़ी महत्व रहा है. हर सभ्यता ने रंगों को अपने तरीक़े से अपनाया. दुनिया में रंगों के इस्तेमाल को जानना भी बेहद दिलचस्प है. कई