फ़िराक को बेहतर तौर पर समझने का मार्ग प्रशस्त करेगी डॉ0 वज़ाहत रिज़वी की ये किताब : विजय राय लखनऊरघुपति सहाय “फ़िराक़ गोरखपुरी” उर्दू ही नहीं बल्कि भारतीय साहित्य में भी इस