नई दिल्ली: कोरोना के थमने का अभी कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं और यह बात नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (NIMHANS) ने भी मान ली है। संस्था का दावा है कि भारत में कोरोना वायरस के मामले जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, अनुमान है कि दिसंबर तक देश में 67 करोड़ लोग यानी भारत की आधी आबादी कोरोना संक्रमण से ग्रस्त हो सकती है।

90 फीसदी लोगों में नहीं दिखेंगे कोरोना के लक्षण
डीएनए की एक रिपोर्ट के अनुसार, संस्था का मानना है कि 90 फीसदी लोगों को इस बात का पता ही नहीं होगा कि वो कोरोना से संक्रमित हैं क्योंकि सभी प्रभावित रोगियों में लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। गंभीर हालत में केवल 5% मरीज अस्पताल में भर्ती होते हैं। यदि भारत में 67 करोड़ लोगों में से 5% लोग गंभीर रूप से बीमार पड़ गए, तो यह आंकड़ा लगभग 30 मिलियन होगा।

इसके अलावा, देश के अभी तक के आंकड़े देखें तो वायरस की घातक दर 5% से कम है, जिसका अर्थ है कि 95% से अधिक रोगी ठीक हो जाते हैं। इनमें से 5 से 10% मामले ऐसे होंगे जिन्हें ऑक्सीजन के हाई फ्लो के साथ इलाज करना होगा और केवल 5% मरीजों को वेंटीलेटर के सपोर्ट की जरूरत होगी।

मेडिकल सेवाओं को करना होगा तैयार
आने वाले कोरोना चरम से बचने और सुरक्षा के लिए देश में जल्द से जल्द प्रयास करने होंगे। राज्यों को चिकित्सा से जुड़े बुनियादी ढांचे को सुधारना होगा और आने वाली गंभीर परिस्थितियों के लिए मेडिकल सेवाओं को तैयार करना होगा।

ग्रामीण भारत में हालात बदतर
सवाल उठता है कि क्या भारत वास्तव में कोरोना के खतरे से निपटने के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल उपाय हैं? भारत में कोरोनो वायरस प्रभावित रोगियों के इलाज के लिए केवल 1.30 लाख अस्पताल के बिस्तर उपलब्ध हैं। आने वाले दिनों में अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने के लिए बेड नहीं होंगे। वास्तव में, कई राज्य पहले से ही इस स्थिति का सामना कर रहे हैं, ग्रामीण भारत में हालात बदतर हैं।