खाक्सी का मुनक्के का सेवन मिआदी बुखार में लाभप्रद: डा0 सिद्दीकी
लखनऊ: आयुर्वेद एवं यूनानी के आला तरीके में मौजूद शिफा व सेहत से मुताल्लिक तजुर्बो को आम व खास नुमाइन्दों तक मुकम्मल इत्तला व बेहतर इलाज के मद्देनजर आयोजित राजकीय यूनानी चिकित्सालय महोना (बक्शी का तालाब ) लखनऊ में आयोजित यूनानी इलाज के शिविर का आगाज डा0एम0एस0एच0सिद्दीकी,निदेशक यूनानी सेवायें लखनऊ,उ0प्र0 द्वारा प्रातः 09 बजे किया गया। इस मौके पर पूर्व मंत्री एवं सांसद मा0भगवती सिंह उ0प्र0 सरकार मेहमान-ए-खुसूसी के तौर पर मौजूद रहे। मा0 पूर्वमंत्री जी द्वारा क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी,लखनऊ,डा0शिव शंकर त्रिपाठी को आयुर्वेद एवं यूनानी विधा के प्रचार -प्रसार हेतु उनकी उम्दा कोशिसों की तारीफ करते हुये प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया तथा शिविर प्रभारी डा0 ए0ए0हाशमी, के साथ-साथ डा0अरशद अली,डा0 ए0 रहमान, डा0 फिरोज अहमद, डा0शहला यासमीन, डा0जरीना शाहीन, आदि आला चिकित्सकों ने अपना योगदान दिया,मा0 पूर्व मंत्री उ0प्र0 सरकार द्वारा इन सभी चिकित्सको को बेहतर जानकारी व बीमारों के प्रति जिगरी हमदर्दी की बावत उनकी काबिलयित के मद्देनजर तरक्की तामील (प्रशस्ति पत्र) देकर नवाजा गया। इस शिविर में आला चित्सिकों द्वारा मौसमी बुखार (वायरल फीवर ), नजला, खाॅसी, दस्त, पेचिश, पीलिया, मधुमेह, बवासीर (अर्श) प्रदर, सोरेयासिस चमड़ी के रोग, जोड़ों के दर्द, स्पाण्डलाइटिस, गठिया, आदि रोगों से पीडि़त कुल 716 रोगियों का मुफत तशखीस व इलाज मोहइया कराकर उनसे मुताल्लिक दवायें तकसीम की गयीं इस शिविर में उम्रदराज बुजुर्गों एवं खवातीन के साथ-साथ कम उम्र के बच्चों अन्य की संख्या बनिस्बत जियादा रही।
इस अवसर पर निदेशक यूनानी सेवायें उ0प्र0 लखनऊ ने जानकारी दी कि यूनानी में शरीर की मनात बढ़ाने के लिये मकोह, कासनी, गिलो, जंजबील, फिलफिल स्याह, तुलसी आदि अनेक औषधियाॅ है, जिनके सेवन से हम स्वस्थ रह सकते हैं, उन्होने यह भी कहा कि खाक्शी व मुनक्के का सेवन मिआदी बुखार में मुफीद माना गया है। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डा0 शिव शंकर त्रिपाठी ने बताया कि हमारे यूनानी तरीकाये इलाज में बताये गये तौर-तरीकों, खान-पान, रहन-सहन, का व्यवहारिक अमल आज भी उतना ही कारगर है, जितना कि पूर्व में था, यदि आज जन सामान्य उन तरीकों का इस्तेमाल करेगा तो निश्चित तौर पर अनेकानेक रोगों से लड़ने की कूबत अपने आप ही विकसित कर बीमारी से छुटकारा पा सकता है। डा0 त्रिपाठी ने बताया कि मंजन व टूथपेस्ट की जगह नीम, बबूल, जामुन, चिरचिटा आदि की दातून का प्रयोग हमें अनेकों प्रकार के संक्रमण से बचा सकता है। उल्लेखनीय है कि इन विशिष्ट चिकित्सा शिविरों के आयोजनों से चिकित्सालयों की लोकप्रियता के साथ-साथ आयुर्वेदिक एवं यूनानी पद्धति की उपयोगिता निरन्तर बढ़ रही है। शिविर प्रभारी डा0 ए0ए0हाशमी ने बताया कि वर्तमान में अनेक प्रकार के डेंगू, मलेरिया, वायरल फीवर आदि अनेक रोग अवाम के मामुलात सफाई आदि तौर तरीको पर अमल न करना तथा खान-पान व रहन-सहन की गड़बड़ी का होना है।








