लखनऊ: किसानों की बेहतरी के लिए उप्र सरकार कमर कसे हुए हैं मानसून में बारिश की कमी और देरी से किसान को नुकसान न हो इसके लिए सरकार सजग है। धान की बुआई, रोपाई के लिए पर्याप्त बिजली दी जा रही है। नहर में पानी और बिजली रहने से किसान की सिंचाई लागत कम होती है। राज्य सरकार का बिजली विभाग विद्युत आपूर्ति के लिए सचेत है। पत्रकारों से बात करते हुए भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि मानसून की देरी से उ.प्र. के खरीफ फसल में धान की रोपाई करने वाले किसानों को कोई असुविधा न हो सरकार इसके लिए हर सम्भव उपाय करेगी। धान प्रदेश की प्रमुख फसल है। यह योगी सरकार में ही संभव हुआ है कि गांवों में किसानों को 18 घंटे तक बिजली मिल रही है। प्रदेश में बिजली की कोई कमी नहीं है। राज्य सरकार ने खरीफ फसल का उत्पादन बढ़ाने की रणनीति तैयार की है। जिस पर पूरा अमल हो रहा है। इस साल खरीफ में खाद्यान्न व तिलहन का उत्पादन लक्ष्य 214 लाख मीट्रिक टन रखा गया है।

प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 2022 तक देश के किसानों की आमदनी को बढ़ाकर दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। प्रदेश में इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए राज्य सरकार एक कार्य योजना बनाकर गंभीरता से काम कर रही है। कुछ महीने पहले केंद्र सरकार ने खरीफ फसल के समर्थन मूल्य में वृद्धि का निर्णय हुआ था। इसका प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

श्री शुक्ला ने बताया कि धान के लिए डेढ़ गुना से ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को मंजूरी दी गई थी। धान का समर्थन मूल्य 1750 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। धान के एमएसपी में 200 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़तोरी की गई है।