स्पिक मैके : स्टडी हॉल स्कूल ने कथकली कलाकार का किया स्वागत
लखनऊ
स्टडी हॉल स्कूल ने स्पिक मैके (भारतीय शास्त्रीय संगीत और संस्कृति को युवाओं तक पहुँचाने के लिए बनी संस्था) के सहयोग से प्रसिद्ध कथकली कलाकार कलामंडलम एम. अमलजीत का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया। यह कार्यक्रम दो जगह हुआ – स्टडी हॉल विद्यास्थली, मलिहाबाद और स्टडी हॉल, गोमती नगर, लखनऊ।
अमलजीत ने कथकली, केरल की शास्त्रीय नृत्य-नाट्य परंपरा, प्रस्तुत की। उन्होंने नवरस (नौ भावनाएँ) दिखाए और समझाया कि किस तरह यह कला रूप भाव-भंगिमा और हाथ की मुद्राओं से भारत की कहानियाँ और संस्कृति को जीवंत करता है। उनके साथ सुरेश कुमार आर., ओमणाकुट्टन, विनोद कुमार और सुनील एस. ने संगीत और वादन से प्रस्तुति को सहयोग दिया।
छात्रों के लिए यह एक अनोखा अनुभव था। कई बच्चों ने पहली बार कथकली को करीब से देखा। कलाकारों ने बच्चों से बातचीत भी की और बताया कि कथकली सीखने के लिए कितनी मेहनत, अनुशासन और वर्षों की साधना की ज़रूरत होती है।
कलामंडलम एम. अमलजीत ने अपने विचार साझा करते हुए कहा: “कथकली केवल नृत्य नहीं है, यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक कहानियों को बाँटने का एक माध्यम है। भाव और गतियों के ज़रिए हम हर इंसान की भावनाओं को छू सकते हैं। मैं स्पिक मैके और स्टडी हॉल स्कूल का आभारी हूँ कि मुझे बच्चों से यह साझा करने का अवसर मिला।”
डॉ. उर्वशी साहनी, संस्थापक और सीईओ, स्टडी हॉल एजुकेशनल फाउंडेशन, ने कहा: “कथकली जैसी शास्त्रीय कला को स्कूलों में लाना केवल प्रदर्शन भर नहीं है, यह शिक्षा का हिस्सा है। इससे हमारे बच्चों को भारत की सांस्कृतिक धरोहर को सीधे अनुभव करने का मौका मिलता है। हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे आधुनिक ज्ञान के साथ-साथ अपनी जड़ों से भी जुड़े रहें और आत्मविश्वासी वैश्विक नागरिक बनें।”
यह कार्यक्रम स्पिक मैके के उस प्रयास का हिस्सा है जिसके ज़रिए वह देशभर के युवाओं तक भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य और परंपराओं को पहुँचाता है। 1977 में डॉ. किरण सेठ द्वारा शुरू किया गया यह मुहिम आज हज़ारों स्कूलों और कॉलेजों तक पहुँच चुका है। इसका उद्देश्य बच्चों को भारतीय संस्कृति की गहराई और मूल्यों से जोड़ना है।










