केरलः
कुलपतियों को हटाने के फैसले पर गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान की उस समय किरकिरी हो गयी जब सोमवार को एक अंतरिम आदेश में केरल उच्च न्यायालय ने राज्य के नौ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को तब तक पद पर बने रहने की अनुमति दी जब तक कि कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय नहीं लेते। केरल उच्च न्यायालय ने विश्वविद्यालयों के कुलपति से कहा कि वह अपने-अपने पद पर रहकर काम जारी रखें और उन्हें केवल तय प्रक्रिया का पालन करके ही हटाया जा सकता है।

न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने 9 कुलपतियों की ओर से दायर आपात याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्यपाल की ओर से कुलपतियों को दिया गया निर्देश उचित नहीं था। गौरतलब है कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इन 9 कुलपतियों को सोमवार तक इस्तीफा देने की चेतावनी दी थी। अदालत ने विशेष सुनवाई के दौरान कहा, वे अपने पद पर बने रहने के पात्र हैं।

अदालत ने पाया कि कुलाधिपति ने कुलपतियों को कारण बताओ नोटिस जारी करके तीन नवंबर तक यह बताने के लिए कहा था कि क्यों ना उन्हें पद से हटा दिया जाये। इस आधार पर अदालत ने कहा कि कुलपतियों को इस्तीफा देने का निर्देश देने का कोई महत्व नहीं है। अदालत ने कहा कि कुलपतियों के खिलाफ केवल तय प्रक्रिया का पालन करके कार्रवाई की जा सकती है। कुलपतियों ने अदालत से कहा कि 24 घंटों के अंदर इस्तीफा देने का राज्यपाल का निर्देश पूरी तरह अवैध था।

गौरतलब है कि केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सोमवार को नौ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को 11 बजे से पहले अपना त्याग पत्र भेजने से इनकार करने पर नोटिस भी जारी किया। राज्यपाल द्वारा कुलपति को इस्तीफे की चेतावनी को लेकर मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने उनपर शक्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। केरल के मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम “असंवैधानिक और लोकतंत्र के सार के खिलाफ” था।