वाशिंगटन: ईरान और अमेरिका के बीच तनाव जारी है। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक दूसरे को युद्ध की धमकी दे रहे हैं। ट्रंप ने तो यहां तक कह दिया कि युद्ध के अपडेट्स के लिए उनका ट्विटर देखते रहें। लेकिन इस बीच अमेरिका के प्रतिरक्षा विभाग पेंटागन ने राष्ट्रपति ट्रंप से उलट बयान दिया है। पेंटागन ने स्पष्ट किया है कि ईरान पर किसी भी कार्रवाई से पहले सैन्य संघर्ष के कानून का ध्यान रखा जाएगा।

रक्षा सचिव मार्क ईस्पर ने कहा कि अमेरिका "सशस्त्र संघर्ष के कानूनों का पालन करेगा।" जब उनसे पूछा गया कि क्या सांस्कृतिक स्थलों को लक्षित करने से इनकार किया गया है, तो उन्होंने कहा कि "सशस्त्र संघर्ष के कानून हैं।"

अमेरिकी ड्रोन हमले के बाद तेहरान के साथ तनाव बढ़ने के बीच राष्ट्रपति और उनके पेंटागन प्रमुख के बयान में अंतर देखा जा सकता है। ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद ट्रम्प ने दो बार चेतावनी दी थी कि अगर तेहरान अमेरिका के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करता है तो वह ईरानी सांस्कृतिक स्थलों पर हमला करेगा।

वहीं डिफेंस सेक्रेटरी मार्क ईस्पर का बयान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इरादों से बिल्कुल अलग है। इस बयान के जरिए ईस्पर ने डिफेंस और मिलिट्री ऑपरेशन के उस कानून पर जोर दिया, जिसमें ऐसे किसी सैन्य संघर्ष की अनुमति नहीं है जो नागरिकों, सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाए।

जनरल कासिम सुलेमानी की मौत के बाद ईरान हर हाल में बदला लेने की बात कर रहा है। शनिवार को जामकरन मस्जिद के ऊपर लाल झंडा फहराकर ईरान ने इंतकाम का ऐलान भी कर दिया। जबकि अमेरिका ने कहा है कि उसे अब और किसी तरह की धमकी बर्दाश्त नहीं है। यदि ईरान ने हमला किया तो वो इसे नेस्तानाबूद कर देगा। ट्रंप इसके पहले कई बार ईरान के सांस्कृतिक स्थलों को तबाह करने की धमकी भी दे चुके हैं।

कुछ दिन पहले डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के सांस्कृतिक स्थलों को तबाह करने की धमकी दी थी। उन्होंने ट्वीट किया था, 'ईरान के 52 सांस्कृतिक स्थल हमारे निशाने पर हैं। इनमें से कुछ बहुत उच्च स्तरीय और अहम हैं। हम इन टारगेट पर बहुत जल्द और बहुत तेजी से वार करेंगे।' ईरान के साथ जंग को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक और ट्वीट किया, 'इन मीडिया पोस्ट को यूएस कांग्रेस के नोटिफिकेशन के तौर पर देखा जाए। यदि ईरान किसी यूएस प्रतिष्ठान और अमेरिकन को चोट पहुंचाता है, तो उसे फौरन और पूरी तरह से खतरनाक अंदाज में जवाब दिया जाएगा। ऐसे कानूनी नोटिस की यूं तो आवश्यकता नहीं है, मगर मैंने फिर भी चेता दिया है।

हाउस फॉरिन अफेयर्स कमिटी के चेयरमैन इलियट एंगल (डेमोक्रेट) ने भी ट्रंप के इस ट्वीट पर आपत्ति जाहिर की। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति को कुछ भी लिखने बोलने से पहले वॉर पावर्स एक्ट पढ़ लेना चाहिए। साथ ही ये समझ लेना चाहिए कि आप कोई तानाशाह नहीं हैं।'

गौरतलब है कि 1954 हेग कन्वेंशन का विशेष तौर पर कहना है कि राष्ट्रों को सांस्कृतिक संपत्ति की रक्षा के लिए "सभी संभव कदम उठाने चाहिए" और ऐसी संपत्ति के खिलाफ निर्देशित "किसी भी कार्य के प्रति शत्रुता से बचना चाहिए।" इसमें कहा गया है कि राष्ट्रों को किसी भी धमकी भरे उद्देश्यों के लिए सांस्कृतिक स्थलों का उपयोग नहीं करना चाहिए। ऐसे स्थानों को सैन्य लक्ष्य न बनाएं।