तौक़ीर सिद्दीक़ी

लखनऊ: इसे मीडिया की पावर कहें, सूचना अधिकार की शक्ति कहें या क़ानूनी दलीलों का नतीजा, RTI एक्टिविस्ट सिद्धार्थ नारायण की डेढ़ सौ साल पुरानी उस लापता खानदानी दुर्लभ पिस्तौल का पता चल गया है जिस पिस्टल के बारे में पुलिस प्रशासन 19 दिसम्बर 2019 तक किसी भी तरह की जानकारी देने में असमर्थता जता रहा था| मीडिया में खबर चलने के बाद 26 दिसम्बर को सिद्धार्थ नारायण जी की माताश्री डॉ मार्गरेट नारायण को पिस्टल का पता लगने की सूचना देता है और कहता है कि मेरठ आकर आप पत्रावलियों का अवलोकन कर सकती हैं| दिलचस्प बात यह है कि 32 बोर की यह वेब्ले स्कॉट पिस्टल मेरठ के उसी वर्मा गन हाउस में जमा बताई जा रही है जिसके बारे में कहा जा रहा कि वह काफी समय से बंद है| एक बात और है कि अभी इस पिस्टल के कारतूसों के बारे कोई जानकारी नहीं मिली है| नारायण फैमिली ने इस पिस्टल के लिए अपना क्लेम दाखिल कर दिया है और 10 दिन में इस असलहे को उन्हें सौंपने को कहा है| ऐसा न होने पर लीगल एक्शन की भी पूरी तैयारी है| डॉक्टर मार्गरेट के अनुसार उनके लिए यह एक पिस्टल नहीं है बल्कि पूर्वजों की धरोहर है जिसकी हिफाज़त और देखभाल उनकी ज़िम्मेदारी है|

पिछले कई महीनों से जारी इस प्रक्रिया में बहुत से सवाल पैदा हुए हैं जिनका जवाब मिलना बेहद ज़रूरी है, पुलिस प्रशासन की लापरवाई खुले तौर पर सामने आई है| मामला एक एंटीक आर्म्स का है जिसे किसी जगदीश त्यागी नाम के व्यक्ति जो अब इस दुनिया में नहीं है ने फर्ज़ीवाड़े से अपने नाम किया| मामला खुलने के बाद जगदीश त्यागी के परिजन में से एक राजेंद्र त्यागी और उसके नौकर नरेश लोधी ने पुलिस को गुमराह किया|

श्री सिद्धार्थ नारायण ने इस पूरे मामले की उच्च जांच और राजेंद्र त्यागी, नरेश लोधी और शासनादेश की अवहेलना करने वाले पुलिस अधिकारियों विरुद्ध सख्त करवाई की मांग की है| सिद्धार्थ ने कहा कि मीडिया में यह मामला आने से पहले मैंने पुलिस प्रशासन से बार बार इस मामले की जांच की बात कही थी कि कैसे एक शस्त्र का लाइसेंस वाराणसी में फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों से बनता है और मेरठ के थाने में चढ़ाया जाता है, यह अपने आप में ही विरोधाभासी है| अब इस फर्ज़ीवाड़े का खुलासा होने के बाद इस तरह के सैकड़ों मामले सामने आये हैं| मेरठ में हिंसक प्रदर्शनों के बाद जब पुलिस ने असलहों की जानकारी जुटानी शुरू की तो पता चला कि हज़ारों की संख्या में ऐसे लाइसेंस धारक हैं जो अपने पतों पर नहीं हैं या नवीनीकरण का नोटिस मिलने के बाद यह शस्त्रधारक नवीनीकरण के लिए नहीं पहुंचे और अब पुलिस ऐसे शस्त्रधारकों को डिफाल्टर घोषित कर उनके लाइसेंस रद्द करने और उनके खिलाफ FIR दर्ज करने की तैयारी कर रही है |

इस केस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली अधिवक्ता हर्ष चाचरा ने बताया कि पिस्टल के लिए क्लेम दाखिल कर दिया गया है और अब प्रशासन को यह गन उसकी असली मालकिन मिसेज़ मार्गरेट को हैंडओवर कर देनी चाहिए| उन्होंने कहा कि हमने डीएम साहब को लिखा भी है कि अगर पिस्टल या बुलेट्स का कोई दुरूपयोग हुआ तो उसके लिए हम 10 लाख रूपये के हर्जाने का दावा करेंगे| उन्होंने कहा कि हम वर्मा गन हाउस को भी नोटिस भेज रहे हैं ताकि गन का किसी भी तरह का दुरूपयोग न किया जा सके| अधिवक्ता हर्ष चाचर ने कहा कि यह बेहद संगीन मामला है और पुलिस व प्रशासन को इसे गंभीरता से लेना चाहिए|