लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी

राज्य मुख्यालय लखनऊ।राष्ट्रपिता महात्मा गांधी , पंडित जवाहर लाल नेहरू , डाक्टर राजेंद्र प्रसाद आदि सरीखे नेताओं की आत्मा क्या सोच रही होंगी कि हमने दुनियाँ में अपने देशवासियों को अंग्रेजों से मुक्ति दिलाकर आज़ादी दिलाई थी कि अब हम सब हिन्दू मुसलमान सिख ईसाई आपसी प्यार मोहब्बत से मिलकर अपने सपनों का हिन्दुस्तान बनाएँगे ऐसा भी नहीं है , बना भी लेकिन कुछ दिनों से उनको सपनों के हिन्दुस्तान को किसी की नज़र लग गई है और इस गुलदस्ते को अलग-अलग के लिए एक सोच आज़ादी से पूर्व ही से काम कर रही हैं जिसको हमें कामयाब नहीं होने देना है हिन्दुस्तान को एक रखने के लिए हमें फिर एक लड़ाई लड़नी पड़ेगी लेकिन अफ़सोस यह लड़ाई अपनों से होंगी।मोदी की भाजपा सरकार को न देश की अर्थव्यवस्था की फ़िक्र है न क़ानून व्यवस्था की बस उनको इस बात की चिंता सताएँ जा रही है कि नागपुरियां आइडियोलोजी को किस तरह लागू की जाए।अड़ानी समूह व अंबानी समूह को छोड़कर अन्य सभी उद्योगपतियों ने मोदी की भाजपा सरकार को चेताया कि देश बहुत बुरी दिशा में जा रहा है चारों ओर मंदी का दौर है लेकिन लगता है मोदी की भाजपा सरकार चलाने नहीं आई है वह तो एक ख़ास आईडियोलोजी को लागू करने ही जनता को धर्म के नाम पर गुमराह कर सरकार में आई है।देशभर में नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) का विरोध हो रहा है जो सही भी है ग़लत काम का विरोध करना चाहिए जिस क़ानून की ज़रूरत भी नहीं थी और मोदी की भाजपा सरकार सच को सच मानने को तैयार नहीं हैं।नागरिकता संशोधन क़ानून धर्म को आड़ बनाकर लाया गया है जिसकी हमारा संविधान इजाज़त नहीं देता लेकिन मोदी की भाजपा सरकार के नंबर दो अमित शाह और अन्य नेता कहते हैं कि 1947 में धर्म के आधार पर मुल्क का बँटवारा हो चुका है बिलकुल सही बात है 1947 में दो सोच थी जो धर्मआधारित देश की कल्पना कर रही थी जिसमें एक का नेतृत्व मिस्टर जिन्ना कर रहे थे तो दूसरे का सावरकर कर रहे थे इन दोनों की आईडियोलोजी को सभी भारत में रहने वालों ने नकार दिया और जिन्होंने उसे स्वीकार किया वह पाकिस्तान चले गए लेकिन उस समय भारत के नेतृत्व ने भारत में सावरकर की हिन्दू राष्ट्र की सोच को एक सिरे से ख़ारिज कर दिया और जिन मुसलमानों ने मिस्टर जिन्ना की अलग पाकिस्तान सोच को ख़ारिज किया उन्हें उस समय के भारत के नेतृत्व ने आश्वासन दिया कि भारत में कभी भी किसी के साथ सौतेला व्यवहार नहीं किया जाएगा सभी लोगों को अपने-अपने हिसाब से जीने का अधिकार रहेगा इस पर जब के मुसलमानों और उनके नेताओं ने कहा कि हम भारत में ही जियेंगे और भारत में ही मरेंगे जो मुसलमान यहाँ रहे उनके हक को पाकिस्तान को नहीं दिया गया वह भारत में शामिल कर लिया गया और जिन्होंने वहाँ जाने को सही माना उसको उनके हिस्से का पाकिस्तान के रूप में मिला लेकिन जो मुसलमान यही रहा उसके हिस्से को भारत में ही रख लिया अब नागपुरियां आईडियोलोजी यें भ्रम फलाती है कि मुसलमानों को अलग पाकिस्तान भी दे दिया गया और मुसलमान यहाँ भी रूक गया इन मुर्खो की इतनी सी बात समझ में नहीं आती कि जो मुसलमान यहाँ रहा वह किसी के रहमोकरम पर नहीं है वह अपने हिस्से में रह रहा है क्योंकि अगर सारा मुसलमान पाकिस्तान की बात करता तो फिर पाकिस्तान इतना सा नहीं बनता उसमें और भी भारत का हिस्सा शामिल होता जिसको मुसलमान और उनके नेताओं ने नकार दिया था वह भारत का है और हमेशा भारत का ही रहेगा।यें बात नागपुरियाँ आईडियोलोजी के गले नहीं उतरती या यें भी कहा जा सकता कि गले तो उतरती हैं लेकिन वह जनता को गुमराह कर अपनी सियासत चमकाने में लगी रहती जिसे समझने की ज़रूरत है जिस दिन देश का बहुसंख्यक यें बात समझ गया तब इस सोच को मुँह छिपाने की जगह नहीं मिलेगी। जैसे CAA के विरोध को मोदी की भाजपा के नेताओं ने विद् मोदी-शाह और गोदी मीडिया ने भरपूर्व कोशिश की यह मामला हिन्दू मुसलमान बन जाए लेकिन जिस तरह से CAA के विरोध प्रदर्शन में हिन्दुओं की भागीदारी देखी जा रही है उससे मोदी-शाह और गोदी मीडिया निराश हो रहा है उसकी समझ में यह नहीं आ रहा कि जनता के इस विरोध को कैसे ठंडा किया जाए।वैसे देखा जाए तो प्रदर्शनकारियों को चाहिए कि वह अपने आंदोलन को हिंसात्मक की तरफ़ न ले जाने दे महात्मा गाँधी की तर्ज़ पर बड़े से बड़े हिटलर को हराया व झुकाया जा सकता है।एक बात यह भी निकल कर सामने आई हैं कि जहाँ-जहाँ मोदी की भाजपा की सरकारें हैं वहीं पर प्रदर्शन हिंसक हो रहा है क्योंकि वहाँ पुलिस और प्रशासन के लोग सही रवैया नहीं अपना रहे जिसकी वजह से आंदोलनकारी हिंसा का रूप ले रहे नहीं तो मुम्बई का क्रांति मैदान जहाँ लगभग पाँच लाख से ज़्यादा लोग शामिल हुए कोई खड़का तक नहीं हुआ वहीं मध्य प्रदेश के भोपाल का इक़बाल मैदान में भी लाखों लोगों ने भाग लिया कोई हिंसा नहीं हुई क्या मोदी की भाजपा की सरकारें जानबूझकर हिंसा करा रही है जिससे हिन्दुओं में यह संदेश दिया जा सके कि देखो मुसलमान हिंसा पर उतारूँ हो रहा है।पश्चिम बंगाल में कुछ नहीं हो रहा तो फिर उन्हीं राज्यों में क्यों हो रहा जहाँ मोदी की भाजपा सरकारें है क्या इस आंदोलन को हिंसात्मक रूप देकर कमज़ोर करने की साज़िश हो रही है ? CAA का विरोध करने वालों को यह बात भी समझने की ज़रूरत है ग़लत काम का विरोध करना सभी नागरिकों का मौलिक अधिकार है लेकिन साथ ही यह भी ध्यान रखने की ज़रूरत है कि आंदोलन शान्ति पूर्वक चले जिसके परिणाम अच्छे आते हैं हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता हैं बस इस बात पर भी ग़ौर किया जाना अति आवश्यक है।मोदी की भाजपा सरकार और उसके नेता इस आंदोलन को कमज़ोर करने का भरपूर्व प्रयास करेंगे और कर रहे हैं लेकिन आंदोलनकारियों को रणनीति बनानी होगी कि आंदोलन हिंसात्मक रूप न ले शान्ति से आंदोलन चलता रहे।