लंदन: ब्रेग्जिट को लेकर आकस्मिक हुए चुनाव में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को आम चुनाव में शुक्रवार की बहुमत मिला है। यूरोपियन यूनियन के साथ ब्रेग्जिट डील में फेल होने के बाद प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अक्टूबर में चुनाव का ऐलान किया था। 12 दिसंबर को संसद (हाउस ऑफ कॉमन्स) की 650 सीटों के लिए मतदान हुआ। नतीजों में जॉनसन की कंजरवेटिव पार्टी आसानी से बहुमत के आंकड़े (326) पार पहुंच गई। पार्टी को 350 सीटों पर जीत मिली है। वहीं, विपक्षी लेबर पार्टी 200 सीटें ही जीत सकी है।

परिणाम से यह जाहिर होता है कि बोरिस ने 650 में से 326 सीटों पर निचली सदन में जीत दर्ज की है, इसका मतलब ये है कि उन्हें मात नहीं दी जा सकती है। गुरुवार को हुए एग्जिट पोल में उन्हें 368 सीटों पर जीत की संभावना दिखाई गई थी।

ब्रिटेन में तय समय के मुताबिक, मई 2022 में चुनाव होने थे, लेकिन ब्रेग्जिट पर गतिरोध के चलते करीब ढाई साल पहले चुनाव कराने पड़े। संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमंस में 650 सीटों के लिए भारतीय मूल समेत 3,322 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे। इंग्लैंड, वेल्स, स्कॉटलैंड और नॉर्दर्न आयरलैंड के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान केंद्र अंतरराष्ट्रीय समयानुसार सुबह सात बजे शुरू हुए और रात 10 बजे मतदान खत्म हो गया। इसके तुरंत बाद मतगणना शुरू हो गई थी।

इस चुनाव में मतदान बैलट पेपर पर कराया गया ताकि किसी तरह की आशंका नहीं रहे। स्कूल, कम्युनिटी हॉल और चर्चों पर पोलिंग बूथ बनाए गए। मतदान केंद्र के बाहर लंबी कतारों में लगकर वोट डाले। कई मतदाताओं ने बताया कि उन्होंने पहली बार ब्रिटेन में इतनी बड़ी संख्या में लोगों को मतदान करते देखा है। 1923 के बाद अब दिसंबर में चुनाव हुए।

इस चुनाव में लेबर पार्टी का नेतृत्व कर रहे जेरेमी कॉर्बिन ने नतीजों पर निराशा जताई। उन्होंने कहा कि वे आगे किसी भी चुनाव में पार्टी का नेतृत्व नहीं करेंगे। कॉर्बिन ने हार के पीछे ब्रेग्जिट को वजह बताया। दरअसल, लेबर ने वादा किया था कि अगर वह सत्ता में आती है, तो ब्रेग्जिट पर दोबारा जनमत संग्रह कराएगी। कॉर्बिन की पार्टी 2016 में हुए जनमत संग्रह को नाकाम बताती रही है। कॉर्बिन ने हार कबूलते हुए कहा, “हम सामाजिक न्याय का मुद्दा आगे भी जारी रखेंगे। हम वापसी करेंगे। लेबर पार्टी का संदेश हमेशा मौजूद रहेगा।”

लेबर पार्टी ने सितंबर में पार्टी के वार्षिक सम्मेलन में जम्मू-कश्मीर को लेकर आपातकालीन प्रस्ताव पारित किया था। इसमें कॉर्बिन ने क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक तैनात करने के लिए कहा था। साथ ही कश्मीर में तनाव घटाने और भय-हिंसा को रोकने की नसीहत दी थी। कॉर्बिन ने कहा था कि भारत सरकार को कश्मीर के लोगों को खुद का फैसला करने देना चाहिए। हालांकि, लेबर पार्टी का यह रुख ब्रिटेन सरकार के अधिकारिक रुख के विपरीत था। ब्रिटेन सरकार का मानना है कि जम्मू-कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है।