फैसले पर धैर्य के साथ सहनशीलता का परिचय देने की देशवासियों से अपील

लखनऊः बाबरी मस्जिद मिलकियत मुक़दमे में किसी भी वक़्त आने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जमाअत इस्लामी हिन्द ने उम्मीद जताई है कि निर्णय सुबूतों के आधार पर न्याय को पूरा करने वाला होगा| लखनऊ में संगठन की आज हुई मीटिंग में जिसमें मुस्लिम धार्मिक, सामाजिक एवं राजनीतिक संगठनों के पदाधिकारियों और नगर के सम्मानित नागरिकों ने शिरकत की|

मीटिंग में वक्ताओं ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। लोकतांत्रिक मूल्य इस मुल्क के अमन और प्रतिष्ठा के लिए अत्यन्त आवश्यक हैं। इसका सम्मान करना देश के प्रत्येक नागरिक की नैतिक एवं संवैधानिक ज़िम्मेदारी है। बाबरी मस्जिद का मामला लम्बे समय से देश की जनता के बीच विवाद बना हुआ है। इस मामला की वजह से दो समुदायों के बीच कई बार आपस में तनाव की स्थिति पैदा होती रही है। विभिन्न प्रक्रिया से गुज़रते हुए देश की सर्वोच्च न्यायालय ने लगातार सुनवाई के आधार पर इस मामला के अन्तिम निर्णय तक पहुंचने की कोशिश की है, सर्वोच्च न्यायालय ने पक्षकारों की बातें सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है जो आगामी कुछ दिनों में सामने आने वाला है। हमें पूरी आशा है कि निर्णय सुबूतों के आधार पर न्याय को पूरा करने वाला होगा।

जमाते इस्लामी हिन्द ने मुसलमानों और देश के दूसरे समुदायों से अपील की कि मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के निर्णय के अनुसार न्यायालय के निर्णय को स्वीकार किया जाए। लोकतांत्रिक देश में विवादित मामलात के शान्तिपूर्ण हल और आपसी भाई चारे का यह बेहतरीन उसूल है। निर्णय जिस पक्ष में भी हो उसकी प्रतिक्रिया में कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे दूसरे पक्ष की भावनाएं आहत होती हों। शांति का वातावरण बनाए रखना हर नागरिक की व्यक्तिगत एवं सामाजिक जिम्मेदारी है| फैसले पर धैर्य के साथ सहनशीलता का परिचय देना चाहिए निर्णय के विरोध में अपने ग़म व गुस्सा के प्रकट करने हेतु किसी भी प्रकार का धरना प्रदर्शन करना उचित नहीं है।

संगठन ने विशेष रूप से मुसलमानों से अपील की है कि बाबरी मस्जिद के मामले में मिल्लत-ए-इस्लामिया के मुत्तहेदा प्लेटफार्म मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड पर भरोसा करें और हर मुमकिन तरीके से नफरत, फ़साद और अराजकता पैदा करने वालों पर नजर रखें और इस सिलसिले में सरकार और कानून व्यवस्था का सहयोग करें| संगठन ने संतोष जताया है कि कानून व्यवस्था ऊपर से लेकर नीचे तक फिक्रमंद है और अमन और शांति के वातावरण को बनाए रखने के लिए तत्पर है। यक़ीनन शांति की व्यवस्था को बनाए रखने की ज़िम्मेदारी सरकार और कानून व्यवस्था की ही होती है।

मीटिंग में यह भी कहा गया कि उच्च न्यायालय की ओर से सरकार की ओर से कानून व्यवस्था को बरकरार रखने की हिदायत जारी की जाए। साथ ही सरकार
निर्णय के बाद इस बात को यकीनी बनाएं कि मीडिया या सोशल मीडिया पर इस विषय पर चर्चा परिचर्चा ना की जाए और हर मामले में निस्पक्षता का बर्ताव करें।