नई दिल्ली: कमलेश तिवारी की हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने सूरत के तीन लोगों सहित पांच लोगों को हिरासत में ले तो लिया है, लेकिन उनके परिवार वाले पुलिस द्वारा की गई इन गिरफ्तारियों पर सवाल उठा रहे हैं। उन्होनें पुलिस की इस कार्रवाई को जल्दबाजी में उठाया कदम बताया और साथ ही कहा कि उन्हें पुलिस पर भरोसा नहीं है। परिजनों ने प्रदेश सरकार से एनएआईए जांच की मांग की।

प्रशासन ने कमलेश तिवारी के परिजनों से नौ बिंदुओं पर समझौता किया है, जिसमें मुख्यमंत्री से मुलाकात, सरकारी नौकरी, आर्थिक मदद और एनआईए जांच समेत लखनऊ में एक आवास शामिल है। हालांकि पूरे मामले में पुलिस की थ्योरी किसी के गले नहीं उतर रही है। अधिकारियों के ही अलग-अलग बयानों ने मामले को काफी उलझा दिया है।

कमलेश तिवारी हत्याकांड में कल अपर मुख्य सचिव गृह ने कहा था कि मामले की जांच निजी रंजिश के आधार पर की जा रही है। जबकि आज डीजीपी ने कहा कि पूरे घटनाक्रम में गुजरात के तीन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। इसमें यह खुलासा हुआ कि गुजरात के तीनों आरोपियों ने साजिश रची। जिसके बाद यूपी और गुजरात की एटीएस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया है। सूरत से गिरफ्तार होने वाले तीनों आरोपियों के नाम मोहसिन शेख, फैजान और राशिद अहमद हैं। साथ ही उत्तर प्रदेश से मोहम्मद मुफ्ती नईम काजमी और इमाम मौलाना अनवारुल हक को हिरासत में लिया। डीजीपी ने यह भी कहा कि अब तक इस घटना से कोई आतंकी कोण नहीं जुड़ा है।

कमलेश तिवारी की मां ने सीतापुर के एक भाजपा नेता पर भी हत्या का आरोप लगाया, लेकिन इस बारे में डीजीपी ने कोई जानकारी होने से मना कर दिया। पुलिस की जांच से कमलेश तिवारी का बेटा संतुष्ट नहीं है। उनका कहना है कि मामले की जांच एनआईए से कराई जाए और किसी बेगुनाह को गिरफ्तार ना किया जाए। कमलेश तिवारी के परिजनों ने कहा कि हमारी तीन मांगें हैं। मुख्यमंत्री यहां आएं, हमें कुछ चाहिए नहीं। कमलेश तिवारी को राष्ट्रीय सम्मान मिले। हमें राज्य सरकार और जिला प्रशासन की जांच पर भरोसा नहीं है। इसलिए मामले की जांच एनआईए से कराई जाए।

कमलेश तिवारी हत्याकांड को लेकर लोगों का गुस्सा शांत नहीं हो रहा है। इस हत्याकांड के विरोध में विशाल विरोध प्रर्दशन की तैयारी की जा रही है। राष्ट्रीय परशुराम स्वाभिमान सेना के प्रदेश अध्यक्ष और भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रदीप मिश्रा ने ‘आउटलुक’ को बताया कि शाम पांच बजे बड़ी संख्या में जीपीओ पर कार्यकर्ता एकत्र होंगे। यहां श्रद्धांजलि सभा होगी और मांगपत्र अधिकारियों को सौंपा जाएगा। उनका कहना है कि ऐसी जानकारी मिली है कि कमलेश तिवारी के बड़े बेटे को सरकारी नौकरी देने का आश्वासन दिया गया है, लेकिन हमारी मांग है कि बेटे को नौकरी ना देकर उनकी पत्नी को नौकरी दी जाए। कैंट विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है और इस सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। इसलिए भाजपा ब्राह्मण मतदाताओं को नाराज नहीं करना चाहती। कल शाम कमलेश तिवारी के आवास पर परिजनों से मिलने डिप्टी सीएम दिनेश चंद्र शर्मा भी गए थे, लेकिन परिजनों ने मिलने से इनकार कर दिया था। साथ ही सरकार के खिलाफ समर्थकों ने नारे भी लगाए थे। चूंकि मुख्यमंत्री आज चुनाव प्रचार में महाराष्ट्र में हैं और देर शाम को लौटेंगे। इसलिए आज रात या कल कमलेश तिवारी के परिजनों की मुलाकात मुख्यमंत्री से कराई जाएगी।