लखनऊ. उत्तर प्रदेश में बिजली दरों मे बढ़ोत्तरी कर दी गई है. उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा जारी आदेशों के अनुसार शहरी और कॉमर्शियल क्षेत्र के साथ ही ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए भी बिजली की दरों में इजाफा कर दिया है. आदेश के अनुसार शहरी क्षेत्र में जहां लगभग 12 फीसदी की बढ़ोत्तरी की है, वहीं औद्योगिक क्षेत्र में ये इजाफा करीब 10 फीसदी का किया गया है. इसके अलावा सरकार ने ग्रामीण इलाकों में फिक्स चार्ज 400 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपए कर दिया है. प्रदेश में आम लोगों-किसानों के विरोध के बाद भी बिजली की दरों में 10 से 15 प्रतिशत बढ़ोतरी की गई है.

दो साल बाद ये बढ़ोत्तरी की गई है. इससे पहले 2017 में योगी सरकार बनने के बाद निकाय चुनाव समाप्त होते ही बिजली की दरों में औसतन 12.73 फीसदी का इजाफा किया गया था.

  • नियामक आयोग ने रेगुलेटरी सरचार्ज 4.8 प्रतिशत को समाप्त कर दिया है.

  • ग्रामीण अनमीटर्ड विद्युत उपभोक्ता, जो पहले 1 किलोवाट पर 400 रूपया देते थे. अब उन्हें 500 रूपया देना पड़ेगा यानी कि 25 प्रतिशत वृदि्ध.

  • गांव का अनमीटर्ड किसान जो 150 प्रति हार्सपावर देता था, अब उसे 170 प्रति हार्सपावर देना होगा यानी कि उसकी दरों में लगभग 14 प्रतिशत की वृदि्ध.
  • शहरी बीपीएल जो अभी तक 1 किलोवाट में 100 यूनिट तक 3 रुपये प्रति यूनिट देता था, अब उसे सीमित कर 1 किलोवाट में 50 यूनिट तक 3 रूपये तक सीमित कर दिया गया है.
  • प्रदेश के शहरी घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं की दरों में स्लैबवाइज लगभग 12 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है.
  • उद्योगो की दरों 5 से 10 प्रतिशत की वृद्धि की गई है.

मामले में उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जिस प्रकार से नियामक आयोग ने पावर कारपोरेशन की प्रस्तावित व्यवस्था पर मोहर लगायी है, यह पूरी तरह असंवैधानिक है. प्रदेश के 2 करोड़ 70 लाख उपभोक्ताओं के साथ आयोग ने धोखा किया है. उन्होंने कहा कि उपभोक्ता परिषद पूरे टैरिफ का अध्ययन कर रहा है, बहुत जल्द ही नियामक आयोग में एक रिव्यू याचिका दाखिल करेगा.

इस बार 2019 के लोकसभा चुनाव खत्म होने के फौरन बाद उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ने सभी श्रेणियों के तकरीबन तीन करोड़ उपभोक्ताओं के लिए बिजली की मौजूदा दरों में जबरदस्त बढ़ोतरी का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में दाखिल किया था. इसके तहत घरेलू बिजली की दरें 6.20 से 7.50 रुपये प्रति यूनिट तक प्रस्तावित थीं. कामर्शियल बिजली की दरें भी 8.85 रुपये प्रति यूनिट तक करने के साथ ही फिक्स्ड चार्ज को बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया था. तभी से माना जा रहा था कि प्रस्ताव अमल में आने पर सबसे ज्यादा चोट गरीब परिवारों पर पड़ना तय है.