लखनऊ: मानव मात्र की निरोगी काया जीवन की महत्त्वपूर्ण मंगल कामना है l आज के समय में समाज का एक बड़ा वर्ग हर प्रकार से साधन सम्पन्न होने के बावजूद भी निरोगी जीवन नहीं व्यतीत कर पा रहा है l यह विचार उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन 'गोपाल जी' ने आज यहां इंदिरा नगर, लखनऊ के सेक्टर-25 में स्थित स्वर्ण जयंती स्मृति विहार पार्क में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, चेस्ट केयर एण्ड रिसर्च सोसाइटी तथा यू०पी०टी०बी० एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित "निःशुल्क श्वांस रोग जागरूकता एवं संवाद शिविर" में व्यक्त किये l उन्होनें कहा कि इंसान को स्वस्थ जीवन बिताने के लिए स्वच्छ पर्यावरण की आवश्यकता है l प्रदूषित पर्यावरण तरह तरह के रोगों का कारक होता है l

नेशनल टी० बी० टास्क फोर्स के वाइस चेयरमैन तथा यू०पी०टी०बी० एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ० राजेन्द्र प्रसाद ने इस अवसर पर कहा कि टी० बी० श्वांस के रोग से जुड़ा एक प्रमुख रोग है l उन्होनें कहा कि वर्ष 2025 तक टी०बी० के 'मिसिंग केसेज़' को चिन्हित करना एक बड़ी चुनौती है l उन्होनें कहा कि इस दिशा में राष्ट्रीय स्तर पर हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं l उन्होनें कहा कि क्षय रोग (टी०बी०) के निदान के लिए मल्टी ड्रग रेजिस्टेन्ट तथा एकट्रिमली ड्रग रेजिस्टेन्ट क्षय रोगियों की बढ़ती संख्या पर काबू पाने की दिशा में भी युद्ध स्तर पर प्रयास करने की ज़रूरत है l डॉ० प्रसाद ने कहा कि श्वांस से जुड़े रोग 'क्रानिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज' (सी०ओ०पी० डी०) के रोगियों की संख्या में भी देश तथा प्रदेश में निरंतर वृद्धि हो रही है l इस समय केवल उत्तर प्रदेश में इस रोग के रोगियों की संख्या लगभग 99 लाख है l यह एक चिंता का विषय है l इसकी रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए l

इस मौके पर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रो० आर०एस० कुशवाहा ने अवगत कराया कि श्वांस से जुड़ा क्षय रोग एक संक्रामक रोग है जो माइक्रो बैक्टीरियम ट्यूबर कुलोसिस से फैलता है l उन्होनें कहा भारत में लगभग 50 करोड़ लोग क्षय रोग से संक्रमित हैं किन्तु सभी को सक्रिय क्षय रोग नहीं है l हमारे देश में सक्रिय क्षय रोगियों की संख्या लगभग 28 लाख है l उन्होनें कहा कि जो भी व्यक्ति कुपोषण की जद में है उसी में क्षय रोग होने की संभावना अधिक रहती है l अतः सही पोषण के द्वारा भी इस रोग पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है l

यू०पी०टी०बी० एसोसीएशन के अवैतनिक सचिव डॉ० टी०पी० सिंह ने कहा कि श्वांस रोगियों में जागरूकता की कमी के कारण 50 प्रतिशत से 60 प्रतिशत रोगी ही इलाज करवाने के लिए चिकित्सकों के पास पहुंचते हैं l आज क्षय रोगियों को इस व्यवस्था से अवगत कराने की ज़रूरत है कि उनके निःशुल्क इलाज की व्यवस्था सरकार द्वारा अस्पतालों में उपलब्ध कराई जा रही है l साथ ही पोषण हेतु उन्हें 500/- रुपये की धनराशि भी प्रदान की जाती है l

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पल्मोनरी मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ राजीव गर्ग ने अस्थमा (दमा) रोग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि "दमा दम के साथ ही जाता है l" उनका कहना है कि दमा के इलाज में दवा सिर्फ एक बैसाखी के रूप में काम करती है किन्तु यदि आप दमा का उपचार अच्छी तरह से करना चाहते हैं तो इसका सबसे अच्छा तरिका योग तथा प्राणायाम है l

हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक हर्ष वर्धन अग्रवाल ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि श्वास दिमाग को शरीर से जोड़ती है l खाना-पीना, सोना-जागना, उठना-बैठना आदि जीवन की सामान्य क्रियाएं हैं, लेकिन इसमें सबसे ज्यादा आवश्यक है सांस लेना l हम जीवन में हर चीज पर ध्यान देते हैं पर सांस पर नहीं l दूषित श्वांस क्रिया शरीर में तरह-तरह के रोगों को जन्म देती है l

राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट के सहायक प्रोफेसर डॉ० निखिल गुप्ता ने कहा कि बीमार लोगों में सांस फूलने के कई कारण हो सकते हैं l इस प्रक्रिया को किसी विशेष बिमारी से जोड़कर नहीं देखना चाहिए l बल्कि सही कारण जानकार ही इलाज करवाया जाना चाहिए l तभी रोग का निवारण हो सकेगा l इस मौके पर लखनऊ विश्वविधालय के योगा अध्यापक डॉ० अमरजीत यादव ने भी अपने विचार व्यक्त किये l