नई दिल्ली: केन्द्र की मोदी सरकार ने देश के अल्पसंख्यकों को लुभाने के लिए 5 करोड़ मुसलमानों को स्कॉलरशिप देने का फैसला किया है। लेकिन सरकार के इस फैसले पर अखिल भारतीय संत समिति ने नाराजगी जाहिर की है। संत समाज के लोगों का कहना है कि देश के 8 राज्यों में हिंदू समुदाय के लोग अल्पसंख्यक हैं। ऐसे में क्या इन राज्यों के हिंदुओं को भी अल्पसंख्यकों के अधिकार मिलेंगे? अखिल भारतीय संत समाज ने केन्द्र सरकार को चिट्ठी लिखकर इस मुद्दे पर अपनी बात रखी है और साथ ही सरकार से अल्पसंख्यक की परिभाषा स्पष्ट करने की मांग की है।

आज तक की एक खबर के अनुसार, संत समाज द्वारा सरकार को जो पत्र लिखा गया है उसमें 9 बिंदुओं को रेखांकित किया गया है। अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री जितेंद्रानंद सरस्वती का कहना है कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ही ‘एक जन एक राष्ट्र’ की भावना की बात कही गई है। संविधान में अल्पसंख्यक शब्द की परिभाषा कहीं नहीं है। पत्र में बताया गया है कि साल 1992 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा संसद में प्रस्ताव लाकर अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया गया, जो कि संविधान की मूल अवधारणा के विरुद्ध था। संत समाज की मांग है कि जिन राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, वहां भी हिंदुओं को अल्पसंख्यकों वाले अधिकार मिलने चाहिए।

संत समाज का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अल्पसंख्यक आयोग को निर्देश दिए थे कि वह राज्यवार अल्पसंख्यक की परिभाषा तय करके बताए। संत समाज के अनुसार, हम भी सरकार से यही मांग कर रहे हैं। संतों का कहना है कि सरकार अल्पसंख्यकों को छात्रवृत्ति दे, हमें उसकी खुशी है, लेकिन 8 राज्यों में हिंदुओं को भी अल्पसंख्यकों में शामिल किया जाए और सुप्रीम कोर्ट के तय मानदंडों का पालन किया जाए।

देश के इन राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यकः देश के 8 राज्यों में हिंदू समुदाय के लोग अल्पसंख्यक हैं। जिन राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, उनमें जम्मू कश्मीर, मेघालय, मिजोरम, पंजाब, लक्षद्वीप, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर का नाम शामिल है। इन राज्यों में हिंदू आबादी ढाई प्रतिशत से लेकर 38 प्रतिशत तक है। बता दें कि ईद के मौके पर केन्द्र सरकार ने देश के 5 करोड़ छात्रों को छात्रवृत्ति देने का फैसला किया था।