लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी

राज्य मुख्यालय लखनऊ।पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद जहाँ सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एकजुट होने का संकल्प लिया था और ऐसा लगा भी था कि आतंकी हमले के बाद हम सब एकजुट है लेकिन अब धीरे-धीरे सभी अपने रंग में आने शुरू हो गए है सत्ता पक्ष भी और विपक्षी भी।अब देखना ये है कि क्या इस आतंकी हमले का देश में होने जा रहे लोकसभा चुनाव 2019 पर भी कुछ असर पड़ने जा रहा है।क्या पुलवामा में हुआ आतंकी हमला 2019 के लोकसभा चुनाव में सियासी दलों की चुनावी बिसात का हिस्सा होगा ? या नही होगा ? सत्ता पक्ष यानी मोदी की भाजपा ये संदेश देने की कोशिश कर रही है कि हम पाकिस्तान को कड़ा जवाब देंगे और देना भी चाहिए यही देश की जनता भी चाहती है कि पाकिस्तान को उसकी नापाक हरकतों का माक़ूल जवाब दिया जाए जैसी हरकतें वो करता आ रहा है उसको मुँहतोड़ जवाब देना चाहिए ताकि सदियाँ याद रखे ऐसा भी नही है कि हमने उसे जवाब नही दिये है ऐसे-ऐसे जवाब दिए है जो उसे अब तक याद है यही वजह है कि वो ऐसी शर्मनाक हरकतें करता रहता है अब समय आ गया है कि उसे फिर सबक़ सिखाया जाए लेकिन उसके लिए आर्यन लेडी के नाम से अपनी पहचान बनाने वाली पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी जैसी इच्छा शक्ति का होना ज़रूरी होता है सिर्फ़ बातो से कुछ नही होने जा रहा है वर्तमान सरकार को बात बनाने में महारत हासिल है जब से ये सरकार वजूद में आई है करती कुछ नही सिर्फ़ बातो से और झूट से काम चलाती आ रही है उसके पास हिन्दू-मुसलमान और तुष्टिकरण की बात करने के अलावा कुछ नही है ऐसा ही लगता है अब तो ये बात आम हो गई है जब उसे लगता है कि अब सरकार घिर गई तो जनता का ध्यान को दूसरी तरफ़ मोड़ देने की कोशिश करती जिसमें वह कामयाब हो जाती है।पुलवामा आतंकी हमला एक ऐसी घटना है कि सिर्फ़ निंदा करने से काम नही चलेगा ऐसी दर्दनाक घटना को कराने वाले और करने वाले दोनों को ऐसा सबक़ मिलना चाहिए कि उनकी नस्लें याद रखे।मोदी सरकार इस दर्दनाक घटना को लेकर कितनी गंभीर है उसका पता सरकार के मुखिया मोदी के उन कार्यक्रमों से ही चलता है कि देश में इतना बड़ा आतंकी हमला होता है जिसमें हमारे पचास के क़रीब CRPF के जवान शहीद हो जाते है और हमारे स्वयंभू चौकीदार ,प्रधान सेवक और पता नही क्या-क्या अपने ऊपर बन रही फ़िल्म के फ़ोटो शूट कराते रहते है उनकी पार्टी के मुखिया मोदी की भाजपा के स्वयंभू चाणक्य अमित शाह चुनावी रैलियों को संभोधित करते रहे है इतना ही नही सर्वदलीय बैठक बुलाते है और खुद उस बैठक में शामिल नही होते है गृह मंत्री राजनाथ सिंह को ये बैठक करनी पड़ती है ऐसा नही है कि गृह मंत्री बैठक नही ले सकते ले सकते है परन्तु जब इतना गंभीर विषय हो तो प्रधानमंत्री को शामिल होना चाहिए था पर नही हुए क्या ये सब घटना क्रमों को देखने के बाद लगता है कि वह गंभीर है अगर इसको विपक्ष उठा रहा है तो कहा जा रहा है इस पर राजनीति कर रहे है अरे भाई ये तो आपको भी सोचना चाहिए था कि उस समय राजनीतिक या सरकारी कार्यक्रम नही करने चाहिए थे अगर ये कार्यक्रम न होते तो क्या विपक्ष को मौक़ा मिलता यह सब कहने का मौक़ा तो आपकी मुर्खता ने ही दिया है अब ये तो होगा ही।क्या आप विपक्ष में होते तो आप नही उठाते बिलकुल उठाते और उठाने भी चाहिए जो सरकार देश के हित से अपने सियासी हित को सर्वोपरि माने ऐसे लोगों को दर्पण दिखाना चाहिए विपक्ष का काम यही होता है जिसे उसे निभाना ही चाहिए।रही बात इसकी जब देश को एकजुटता की ज़रूरत पड़े तो सबको मज़बूती के साथ डट जाना चाहिए उसमें कोई किन्तु परन्तु नही लगाना चाहिए यही सच्चा विपक्ष और सत्ता होनी चाहिए कि वह अपने देश के लिए एक हो जाए जैसा कांग्रेस ने किया भी है इसे कहते है सच्ची देश भक्ति लेकिन आज कल सिर्फ़ दिखावे को पसंद किया जा रहा है जो ग़लत है और हमेशा रहेगा सच्चाई तो सच्चाई ही होती है जो सामने आ ही जाती है।अब बात करते है कि अगर सियासी दलों ने पुलवामा में हुए आतंकी हमले को अपनी चुनावी बिसात का हिस्सा बनाया तो इसका चुनावी लाभ किसको मिलेगा क्या मोदी सरकार इसको अपनी सरकार के विरोध में बन रहे माहौल को किसी हद तक कम करने में कामयाब हो पाएगी या ये मामला उसके लिए गले की फाँस बन जाएगा ? क्या विपक्षी पार्टियाँ इसको मोदी सरकार की आतंकवाद के विरूद्ध नीतियों को फेल बताने में कामयाब हो पाएगा ये तो उनके द्वारा चुनावी बिसात बिछाने के बाद ही सही मायने में पता चल पाएगा लेकिन इतना ज़रूर है ये तो दिखाई देने लगा है कि पक्ष भी और विपक्ष भी कोशिश पूरी करेगे कि किसी तरह इसको अपने चुनावी लाभ के लिए जनता को बताएँ कि देखो पुलवामा में क्या किया हमने पाकिस्तान को पूरे विश्व के सामने अपनी कूटनीतिक चालों से शर्मशार करा दिया किया कुछ नही जैसा अब तक है उस आधार पर कह सकता हूँ आगे क्या होगा उसका बाद में पता चलेगा अगर मोदी सरकार हमला या कुछ ठोंस क़दम उठाने में कामयाब रही तो मोदी की भाजपा की लोकसभा चुनाव में बम्पर जीत को कोई रोक नही पाएँगा और अगर मोदी की भाजपा सरकार कोई ठोंस क़दम नही उठा पाई तो इसका भारी नुक़सान मोदी की भाजपा को उठाना पड़ेगा ऐसा महसूस होने लगा है देश की जनता का मूड यही बता रहा है।अब यह तो लोकसभा संग्राम का बिगुल बजने के बाद ही सही मायने में पता चलेगा कि क्या होगा और क्या नही अभी तो क़यास भर ही है।हालाँकि आतंकवाद को पालने वाले पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाए को दिखाने के लिए जमात उद दावा पर पाबंदी लगा दी है जो नाकाफ़ी है।