शिवपाल कांग्रेस से मिल बिगाड़ सकते है भतीजे अखिलेश का खेल

लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी

राज्य मुख्यालय लखनऊ। वैसे तो देश की सियासत में उत्तर प्रदेश का अपना अलग ही स्थान है मगर जैसे-जैसे देश आम चुनाव की तरफ़ बढ़ रहा है तो यूपी की सियासत का पारा भी चढ़ता जा रहा है नवम्बर से यूपी में बड़े खेल शुरू होंगे सियासत का असली रंग यही देखने को मिलेंगे भले ही देश के पाँच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हो परन्तु असली सियासी चौसर यहाँ बिछाई गई है जिसका खेल दिखना शुरू हो गया है यूपी की राजनीति में होगे चौंकाने वाले फेरबदल चाचा शिवपाल सिंह यादव बिगाडेंगे बतीजे अखिलेश यादव का खेल।सपा से किनारा कर शिवपाल सिंह यादव ने अपने वजूद की ताक़त का अंदाज़ा सपा के अडयल नेतृत्व को करा दिया है वही शुरूआती रूझानो से पाँच राज्यों के जिस परिणाम की उम्मीद की जा रही है उससे कांग्रेस भी अपनी ताक़त को ज़ोरदार तरीक़े से रखेगी।ताज़ा सियासी घटनाक्रम के मुताबिक़ फ़िरोज़ाबाद लोकसभा सीट से शिवपाल सिंह यादव के पुत्र आदित्य यादव की दावेदारी पक्की समझी जाने लगी जबकि यहाँ से प्रोफ़ेसर रामगोपाल यादव अपने पुत्र को लड़ाने के इच्छुक थे और खुद सम्भल से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे है लेकिन भतीजा यानी अखिलेश यादव बाप बेटे में से किसी एक को चुनाव लड़ाना चाहते है और सम्भल से शफीकुर्रहमान बर्क को लड़ाने के इच्छुक है यही आज़म खान भी चाहते है क्योंकि बर्क अगर निर्दलीय भी मैदान में आ गए तो वह इस बार सीट आसानी से निकाल लेंगे इस तरह के समीकरण बन रहे है।इस बार के सियासी खेल में सपा को सबसे ज़्यादा नुक़सान होने जा रहा है सपा मुलायम सिंह यादव को आज़मगढ़ से ही लड़ाना चाहती जबकि मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से लड़ने पर अडिग है क्योंकि शिवपाल सिंह यादव ने अपनी ताक़त से का जो अहसास कराया है उससे सपा का नेतृत्व सोचने पर मजबूर हो गया है।अपना दल की अनुप्रिया पटेल की माता कृष्णा पटेल फूलपुर से ओमप्रकाश राजभर का बेटा मऊ या सलेमपुर से, ग़ाज़ीपुर से बाबूसिंह कुशवाह, नारद राय बलिया से हो सकते है शिवपाल सिंह यादव की पार्टी के प्रत्याशी फ़िरोज़ाबाद सीट पर शिवपाल सिंह यादव ने प्रोफ़ेसर राम गोपाल यादव के अरमानों पर पानी फेर दिया इस क्षेत्र में मुसलमानों में असर अंदाज अज़ीम शिवपाल सिंह यादव के खेमे है इस लिए यह क़यास लगाए जा रहे है कि यहाँ से आदित्य यादव मज़बूती से चुनाव लड़े वैसे शिवपाल सिंह यादव के बारे में सियासी गलियारो में तरह-तरह की चर्चाओं का बाज़ार भी गर्म है कि भाजपा की मदद के लिए यह सब हो रहा है लेकिन जिस तरह शिवपाल सिंह यादव सियासी जाल बिछा रहे है उससे तो नही लगता कि वह भाजपा के हाथो का खिलौना है।सुना तो यह भी जा रहा है कि मोदी की भाजपा जो अपने सांसदों के टिकट काटेगी उनमें आधे शिवपाल सिंह यादव के टिकट पर चुनाव मैदान में होगे।आज के ताज़ा हालात में शिवपाल सिंह यादव तीन सीटों पर सीधी लडाई में नज़र आ रहे है फ़िरोज़ाबाद , इटावा , व आज़मगढ़ अब तक चाचा को अपने बलबूते होने का भ्रम पाले अखिलेश सिंह को यह बात समझ में आ गई कि चाचा शिवपाल सिंह यादव के गुनाभाग का कोई तोड़ नही है मुलायम सिंह यादव तो पहले ही शिवपाल की अहमियत को समझते थे अब धीरे-धीरे बेटा अखिलेश यादव भी समझ रहा है।