तौसीफ कुरैशी

लखनऊ।आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश में विपक्ष से घिरे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ऐसे कुछ लोगों की तलाश है जिनकी छवि को कैश किया जा सके।आमचुनाव के लिए मोदी की भारतीय जनता पार्टी को ऐसे नये तुरूप के इक्कों की जरूरत है जिनकी चाल को चलकर चुनावी वैतरणी पार कर सके।

असल में कुल मिलाकर यह तो एक बहाना है, मोदी की घटती लोकप्रियता इसकी बहुत बड़ी वजह है, घटती लोकप्रियता का मतलब जिस धार्मिक भावनाओं को भड़काकर व गुजरात मॉडल को लेकर मोदी सरकार सत्ता में आई थी वह उस पर खरी नहीं उतरी इसलिये जो वोटर विकास का समर्थक रहा है वह मोदी सरकार से निराश है, वह वोटर अन्य विकल्प पर विचार कर रहा है।क्योंकि मोदी सरकार के पास उपलब्धियों के नाम पर कुछ नही, जनता को बताने के नाम पर कुछ है नही।हाँ अगर कुछ है तो सिर्फ़ और सिर्फ हिन्दु-मुसलमान| अब इस मुद्दे पर कब तक जनता को मूर्ख बनाया जा सकता है| पिछले लोकसभा चुनाव जिन झूठे वादों के सहारे चुनावी वैतरणी पार की थी अब वही गले की फाँस बन रही है सांसद क्या बताए जनता को जाकर कि हमने 15-15 लाख रूपये जनता के खातों में विदेशों से काला धन लाकर जमा करा दिए है,दो करोड़ युवाओं को हर वर्ष रोज़गार दे दिया, हमने मन्दिर बनाने का वादा किया था जाओ कितना भव्य मन्दिर बना है दर्शन कर आओ, हमने धारा 370 हटाने के लिए कहा था वह भी हटा दी, जाओ कश्मीर में मकानात व ज़मीन ख़रीद लो, हमने किसानों की आय दो गुना करने को कहा था वह देखों अब किसान आत्महत्या नही कर रहा है, हमने नोटबंदी कर आतंकवाद व कालाधन को ख़त्म कर दिया, जीएसटी लगाकर व्यापारियों को राहत देने का काम किया है,सीमाओं पर अब जवान शहीद नही हो रहे, हमने दुश्मन के दस-दस सर से ज़्यादा लाकर दुश्मन को कमज़ोर कर दिया है। यह बात अलग है कि चीन डोकलाम में अपनी हठधर्मिता के चलते क़ब्ज़ा जमाए हुए है।

इन सब उपलब्धियों को जनता को बता नही रहे, इसलिये बहुत से मौजूदा सांसदों के टिकिट काटकर किसी दूसरे को मौक़ा दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश के लोकसभा सांसदों के काम काज तथा क्षेत्रीय प्रभाव को लेकर कराये गये सर्वेक्षण में मोदी की भाजपा की स्थिति काफी निराशाजनक है। इस स्थिति के कारण मोदी की भाजपा को आधे से ज्यादा स्थानों पर नये सांसद प्रत्याशियों की खोज जारी है। मोदी की भाजपा के ज्यादातर सांसद अपने क्षेत्रीय प्रभाव तथा कामकाज को लेकर 15 से 20 प्रतिशत तक ही अंक हासिल कर पाये है। यहां तक यूपी के सभी बड़े नेता तथा सांसद भी क्षेत्रीय जनता की अपेक्षाओं पर 25 से 30 प्रतिशत के ही दायरे में है। विभिन्न दामों के बड़े नामचीन नेता चुनाव भले ही जीते परन्तु सांसद के रूप में वे जनता की उम्मीदों पर खरे नही उतरे है।सांसदों की कमजोरी तथा नयी चुनावी रणनीति के तहत मोदी की भाजपा ने उत्तर प्रदेश के एक दर्जन मंत्रियों को लोकसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी की है। इनमें से ज्यादातर मंत्रियों को क्षेत्रीय स्तर पर चुनावी तैयारी करने का निर्देश दे दिया गया है। कमजोर सीटों पर मोदी की भाजपा ने इस बार नये और अच्छी छवि के नेताओं को मैदान में उतारने की तैयारी की है। पूर्वी यूपी में मोदी की भाजपा की स्थिति अत्यन्त कमजोर मानी जा रही है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्वाचल के आजमगढ़, वाराणसी तथा मिर्जापुर से चुनावी जनसभाएं शुरू की। अब दूसरे चरण में प्रधानमंत्री पश्चिम एवं मध्य यूपी में जनसभाएं कर चुनाव का आगाज करने वाले है। इसके साथ ही भाजपा ने संगठनात्मक स्तर पर भी तैयारियां शुरू कर दी है।चुनावी तैयारियों में मोदी की भाजपा अपने संगठनात्मक ढ़ाचे तथा बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं पर ज्यादा विश्वास कर रही है। यही वजह है कि नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए मोदी की भाजपा ने ब्लाक स्तर पर पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओ की तैयारी करने का निर्णय लिया है। इन कार्यकर्ताओं को सरकारी तौर पर 30 हजार रूपये प्रतिमाह मानदेय भी दिया जाएगा। इसके लिए योगी सरकार के मंत्रिमंडल ने मंजूरी भी दे दी है। मोदी की भाजपा पहले भी संगठन स्तर पर विभाग संगठन मंत्री तथा अन्य स्तर पर पूर्ण कालिक कार्यकर्ताओं की तैनाती करता था परन्तु कुछ दिनों पहले इन सामाजिक कार्यकर्ताओं की वसूली तथा संगठन में गुटबाजी को बढ़ावा देने की शिकायतों के बाद हटा दिया गया। इन पूर्ण कालिक कार्यकर्ताओं को मोदी की भाजपा की तरफ से हर तरह की सुविधाएं मुहैया करायी जाती थी।चुनाव पूर्व सर्वे रिपोर्ट में मोदी की भाजपा की जिन संसदीय क्षेत्रो में स्थिति कमजोर मानी जा रही है, उसमें सहारनपुर,कैराना,नगीना,मुरादाबाद,रामपुर,सम्भल, अमरोहा,आंवला,खीरी,धौरहरा,सीतापुर,हरदोई, मिश्रिख, उन्नाव,प्रतापगढ़,इटावा,फरूर्खाबाद,झांसी, बांदा,कौशाम्बी,फूलपुर,इलाहाबाद,बाराबंकी,अम्बेडकरनगर,बहराइच,कैसरगंज,श्रावस्ती,गोण्डा,डुमरियागंज,बस्ती,संतकबीरनगर,गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, लालगंज,आजमगढ़,घोसी,बलिया,जौनपुर,मछलीशहर,गाजीपुर तथा चन्दौली की सीटे है। इसके अलावा मोदी की भाजपा को कानपुर, देवरिया,रामपुर झांसी से नये सांसद प्रत्याशी की तलाश है।कानुपर से डा. मुरली मनोहर जोशी,देवरिया से कलराज मिश्र तथा रामपुर से नेपाल सिंह भाजपा के वरिष्ठ सदस्यों की लिस्ट में शामिल हो गये है जबकि झांसी से उमा भारती ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। सुलतानपुर से वरूण गांधी के भी क्षेत्र बदलने की चर्चा चल रही है। वैसे भी वरूण गांधी असली भाजपा की जिसे बागी टीम के रूप में जाना जाता है।आजमगढ़ से मुलायम सिंह यादव के चुनाव लड़ने के कारण मोदी की भाजपा यह सीट सपा कंपनी से जीतने की रणनीति बना रही है परन्तु यहां के माफिया रमाकान्त यादव को लेकर भी मोदी की भाजपा का नेतृत्व सहज नही है। विधानसभा चुनाव में रमाकान्त ने अपनी बहू को बागी बनाकर चुनाव लड़ाया था।इसके साथ ही भाजपा कन्नौज, फिरोजाबाद और बंदायू को भी अपनी जीत की परिधि में लाकर चुनावी रणनीति बना रही है। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के लोकसभा चुनाव न लड़ने की स्थिति में मोदी की भाजपा कड़ी टक्कर के लिए प्रत्याशी तैयार कर रही है।

मोदी की भाजपा के लिए सबसे बड़ी मुसीबत पिछले चुनाव में भारी अन्तराल से जीती गोरखपुर, फूलपुर तथा कैराना सीटों के प्रत्याशियों के चयन को लेकर है। उपचुनाव में मोदी की भाजपा को इन तीनों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ के अलावा अन्य किसी के जीत की संभावना कम जतायी जा रही है जबकि वह यूपी के मुख्यमंत्री है। इसी प्रकार फूलपुर के केशव मौर्य उपमुख्यमंत्री है। मौर्य की क्षेत्र में छवि भी खराब है। कैराना से हुकुम सिंह के न रहने पर उनकी बेटी राजनीतिक धरोहर बचाने में नाकामयाब रही। गाजीपुर के सांसद मनोज सिन्हा के क्षेत्र में तमाम काम करने के बाद भी जातीय संतुलन गड़बड़ा रहा है। कई सांसदों की क्षेत्र में स्थिति विवादास्पद है। बहराइच की सावित्री बाई फूले, इटावा के अशोक कुमार दोहरे तथा हाथरस के राजेश कुमार पार्टी के खिलाफ बगावती तेवर दिखा चुके है। सहयोगी दल में अपना दल के प्रतापगढ़ के सांसद हरिबंश सिंह भी अलग लाइन लगाकर भाजपा से अपना पत्ता साफ करा चुके है।